शुभम करोती!
आपके लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद!
मैं आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार हूं। आपके पास कोई प्रश्न या समस्या है, तो मुझे बताएं। मैं आपकी मदद करूंगा।
आपका दिन शुभ और समृद्ध हो!
आंखें बंद कर बैठा हूं मैं सच्चाई को रखता हूं
जरा देख लो मैं तो सच्ची घटनाओं को दिखाता हूं,
जिनको सच्चाई अच्छी न सुने वाले, उनको
सच्चाई कड़वाहट लगती है।
दर्द भरा हुआ भाव में रघुनाथ को सुनाता हूं
राजा के दरबार में रोते हुए, अपनी कहानी यूं बताता हूं
हर भक्त की तरह मै भी न्याय की गुहार आप के पास लगाता हूं।
घटना का चित्रण का मंच मै दिखाने आया हूं,
16,02,2022 की घटना के प्रथम घटना का मंच सजाता हूं।
कोटी थोक, मनपा के लोग, राजा के प्रांगण में बैठे हैं।
प्रकाश सेमवाल की अध्यक्षा में, राजा के थान में कुछ लोग कुछ आगे कहते हैं।
बैठक का मुद्दा उठाया जा रहा, कोई भी न खड़ा हो न पा रहा।
चंद मिनटों में, एक युवा अपने परिचय मै बोल पड़ा, प्रदीप ज्याडा मेरा नाम, राजा का सेवक मुझे कहते है।
मुद्दों से भड़को न जन,,2
स्पष्ट तौरपर मुद्दे काएक ही, मुद्दे का लोगो का है मन,
करोड़ो घोटाले का, अपमान, क्यों डोल रहा , मेरे राजा का नाम।
दर्द भरे शब्दों से, मैं अपनी वाणी रखता हूं ,
आप सभी जन, ओर राजा को मै प्रणाम करता हूं।
दर्द भरा हुआ भाव में रघुनाथ को सुनाता हूं
राजा के दरबार में रोते हुए, अपनी कहानी यूं बताता हूं
आगे का मै विवरण सुनाता हूं,
राजा के दरबार में सुमुक्ख घटनाओं के दृश्य से, अपनी कहानी के शब्द चुराता हूं।
मै सेवक सेवा करूंगा,
राजा के दरबार के सम्मुख प्रस्तुत दृश्य के अलावा ओर कुछ नही सुनाऊंगा।
इतने मैं, एक सच्चा भक्त, ऊपर उठ कर बोलने लगा,
मै अनंत सेवक हूं, राजा का,
अपना परिचय देता हूं, भक्त कृष्ण कन्हैया राधा का।
लायवीर चौहान नाम मेरा,
जबाव मिलेगा कड़क, यही स्वभाव, ओर काम मेरा।
अपने वाणी से इसप्रकार, तीर फेके, तर्को के उतार चढ़ाव में,
भारत मां का सेवक, दीपेंद्र चौहान, सहयोग देने, ओर खड़े हुए।
कोटी के वह दांयाण, स्याण, अपने शब्दों के तीर लेकर खड़े हुए।
प्रश्नो का उत्तर, का कोई जबाव न था।
फिर ऐसा छणभर का शांति का माहौल बना,
लोगों के चहरे, समिति के अध्यक्ष के प्रकाश तेजस्वी ज्योति के सम्मुख जवाब के लिए इतजार करे।
इतने मैं, मै अभागा बोल उठा,
सुनो बात, मेरी जनताओ,
आदरनीय अध्यक्ष पर आरोप मत लगाओ।
न मैने आरोप लगाया, मै राजा अबोध सेवक हूं।
राजा के समिति से अध्यक्ष से कुछ प्रश्नों के उत्तर मांगने आया हूं।
इतने में अध्यक्ष जी, सभी प्रश्नों को लिखकर, प्रश्नों के जबाव देने के लिए लिस्ट बना कर खड़े हुए।
दर्द भरा हुआ भाव में रघुनाथ को सुनाता हूं
राजा के दरबार में रोते हुए, अपनी कहानी यूं बताता हूं
ऐसे दृश्य की घटनाओं,के पन्नो को क्या आप जानना चाहते हैं ।
इस घटाना का पूरा दृष्ट, कभी दूसरे दिन सुनाऊंगा।
बस मै, अपनी रचना मै, राजा रघुनाथ की सच्चाई के पात्रों के किरदार दिखाउंगा।
सभी टिप्पणियो के सम्मुख प्रस्तुत का दृश्य बना हुआ।
पूर्व अध्यक्ष प्रकाश सेमवाल के प्रश्नों पर मैने प्रकाश ऐसा डाला।
नवीन समिति के अध्यक्ष त्रेपन चौहान को राजा के लोगों ने चुन डाला।
मानेद्र सिंह, ओर सोबन असवाल को सचिव ओर कोषाध्यक्ष का पद सेवा का दे डाला।
जन मानस के लोगों को भी, पटागढ़ी, के युवाओं पहली बार समिति का पद पाया,
बैठक में बैठे, दो सौ, से तीन सौ, प्रत्येक गांव से पचास, पचास आए लोगों को सुनाया गया
13 लोग सदस्या समिति के बनकर 64 लोगों के साइन कर, अंकित जनआदेश जन के सम्मुख पड़ा गया।
दर्द भरा हुआ भाव में रघुनाथ को सुनाता हूं
राजा के दरबार में रोते हुए, अपनी कहानी यूं बताता हूं
राजा अपनी कृपा हमेशा इन पर बनाई रखे।
इस घटना के उन सच्चाई के पात्रों को, राजा के सेवक, सच में प्रणाम के अधिकारी है ।
आप के आदर्श सच्चाई से, अपने जीवन की आयु सीमा, आप जन गण की सेवा में समर्पित करता हूं।
ईष्ट देव राजा को, प्राण आयु पुष्प अर्पण करता हूं।
दर्द भरा हुआ भाव में रघुनाथ को सुनाता हूं
राजा के दरबार में रोते हुए, अपनी कहानी यूं बताता हूं
राजा रघुनाथ के भक्तों को जो घटना दृश्य तीसरा दिखाने आया हूं
2 जून 2022 की बैठक का चित्रण मंच आप के सम्मुख सजाता हूं।
बैठ मे बैठे हुए , पात्रों का वर्णन भी मै करता हूं।
कोई चर्चा करता है, दान पात्र, ओर फरी जग्गी की भेट की।
पर मै व्याख्यान करने आया हूं, प्रमुख उस मुद्दे की।
युग्गो से चली आ रही परंपरा जैसे विषय शिश मुकुट की ,
एक अज्ञानी सेवक बोल उठा है, राजा के दरबार में।
राजा के थात में जब राजा की पालकी, मे पहनाया जाता है, राजा के आभूषण ओर झमान, सभी उसके साथ में।
टूटी हुई झमां का वर्ण , कहानी सुनाने आया हूं,
असल मै, अपनी रचना मै, राजा की वेदना बताने आया हूं।
सुनो जुबानी मेरे मुख से,
टूटी झामण, फिर भी अंदर अंदर है सब, दुःख से
मै भी मौन बैठा था, सच में इस बात में सत्य कोई छुपा नही था।
भरी सभा में प्रकट हुई भेदना, - 2
अब रखता हूं, अपनी कविता की अवधारणाना।
गड्डे हुए, शब्दों को उखाड़ने आया हूं।
सच में,मै राजा रघुनाथ का इतिहास बताने आया हूं।
कृष्ण चक्र की कृष्ण ध्वजा में, राजा रघुनाथ की गीता सुनाने आया हूं
सुनो बात मेरी, आप को घटित घटना को बताने आया हूं
सच्चाई की, सच्ची कहानी आप को सुनाने आया हूं।
आगे का चित्रण मंच मै बताने आया हूं,
एक आदमी फिरने लगा, सत्य बात इसने जो कहा,
कौन, राजा की कृपा से गांव में गरीब रहा अब,
कौन, राजा की कृपा से, बिरोजगार रहा अब,
कौन, अब भूखा सोता,
कौन, अब दुःखी रोगी हो होकर रोता,
ईष्ट देव राजा की कृपा से सब पर प्यारी,
क्षेत्र में है, अब है,खुशहाली।
यह सुन कर, सब शांत हुए,
लोगो के इस विषय का अभिवादन करने, समिति के अध्यक्ष उठ कर बोले,
राजा के आदेश से , जनता जनार्दन के सन्देश से,
यह समझ मै आता है, चलो झामण को टंकवाते है,
आगे....... अगले भाग की कहानी
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