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Скачать или смотреть Triguna Theory Of Personality सत, रज, तम ।। सात्विक राजसिक, तामसिक।।

  • Dr Naveen Wagadre
  • 2021-07-18
  • 3558
Triguna Theory Of Personality सत, रज, तम ।। सात्विक  राजसिक, तामसिक।।
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Triguna Theory Of Personality गुण सत, रज, तम ।। #सात्विक_राजसिक_तामसिक।।




अर्थवेद और भागवत गीता के अनुसार हर इंसान में यही तीन गुण सत रज तम होते है जो उनका व्यवहार तय करते है. इन तीन गुणों के कांसेप्ट का उपयोग आधुनिक युग में मनोविज्ञानिको द्वारा इंसान की पर्सनालिटी को समझने के लिए भी किया जाता है जिसे Triguna theory of personality के नाम से जाना जाता है. मनोविज्ञानिको के अनुसार जिस इन्सान में जो गुण हावी होता है उसी के अनुसार उसके व्यक्तित्व का विकास होता है. हर गुण की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं जो हर इंसान में पाई जाती है. तो चलिए सबसे पहले सात्विक गुण के बारे में जानते है

सत्त्व गुण “आध्यात्मिक गुण” है. जब सत्त्व गुण प्रभावशाली होता है, तब व्यक्ति में अच्छाई और देखभाल करने की सहज इच्छा होती है। जिस इंसान का मन और इंद्रियों पर कंट्रोल रहता है तब उसमे सात्विक गुण प्रभावी होता है. ऐसे लोग न सिर्फ बुद्धिमान होते है बल्कि अपने ज्ञान को सभी लोगो के साथ बांटना भी पसंद करते है. ऐसे लोग अपने काम को गंभीरता से लेते है और कोई बहाने बाजी नहीं करते. ये हर स्थिति में शांत रहते है और सोच समझकर फैसले लेते है. सत्व गुण हमें अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करता है ।सात्विक मनुष्य किसी कर्म फल अथवा मान सम्मान की अपेक्षा स्वार्थ के बिना समाज की सेवा करता है सत्त्व प्रधान व्यक्ति में कुछ लक्षण होते हैं जैसे कि – प्रसन्नता, संतुष्टि, धैर्य, क्षमा करने की क्षमता, अध्यात्म के प्रति झुकाव । एक सात्विक व्यक्ति हमेशा वैश्विक कल्याण के निमित्त काम करता है। हमेशा मेहनती, सतर्क होता है । एक पवित्र जीवनयापन करता है। सच बोलता है और साहसी होता है।
सात्विक लोगो का भोजन
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक, बिना प्याज़-लहसुन और बहुत कम तेल मसालों के साथ एकदम शुद्ध तरीके से बनाया गया भोजन सात्विक भोजन कहलाता है।
अगर कोई व्यक्ति सतोगुण की वृद्धि में मरता है तो उत्तम कर्म करने के कारण स्वर्ग को जाता है ।
राजसिक गुण –
रजस् गुण “सक्रिय” गुण है. राजसिक गुण वाले लोग बहुत सक्रीय, गतिशील और कार्यशील होते है. अगर उनके पास कोई काम नहीं है तो वे बैचेन महसूस करते है. ऐसे लोग मसालेदार खाना काफी पसंद करते है. साथ ही इन्हें मनोरंजन का भी शोक रहता है. यह एक जगह पर चुप चाप बैठे रहना पसंद नहीं करते.जिस व्यक्ति में राजसिक गुण प्रभावी रहता है उनमे इच्छाएं, सपने, जोश और
भावनाएं रहती है. ऐसे लोग अक्सर बिज़नस में जाना पसंद करते है.
स्वयं के लाभ तथा कार्यसिद्धि हेतु जीते है
रजोगुण कामनाओ और आसक्ति मोह से उत्पन्न होता है जिसके कारण जीवात्मा फल की आसक्ति मोह में बंध जाता है रजोगुण के बढ़ने पर लोभ उत्पन्न,लोभ के कारण फल की इच्छा से कर्म करने की प्रवृत्ति अधिक ,कर्म करने की प्रवृत्ति से मन की चंचलता , मन की चंचलता के कारण विषय भोगों के भोगने की इच्छा बढ़ने लगती है ।
राजसिक भोजन
राज सिक भोजन में शाही भोजन जो पहले राजा महाराजा खाते थे । जैसे घी तेल से भरपूर तला हुआ, मिठाईयाँ, काजू ,बादाम, आदि ।
जब कोई मनुष्य रजोगुण की वृद्धि होने पर मृत्यु को प्राप्त होता है तब वह पृथ्वी लोक पर ही छूट जाता है ।


तामसिक गुण –तमस् गुण “भौतिक गुण” है. इस प्रकार के लोग काम करना पसंद नहीं करते. साथ ही यह सही गलत का ज्ञान नहीं रखते. ऐसे लोग सुबह देर से उठते है. ये जिन्दगी में ज्यादातर असफलता का सामना करते है. इनकी निष्क्रियता और सुस्त आचरण के कारण लोग इनके साथ रहना पसंद नहीं करते.
तामसिक गुण वाले लोगो में बहाने बाजी, लापरवाही, असंवेदनशीलता, लक्ष्यहीन जीवन, और दुसरो की आलोचना करना तथा ऐसे लोग नशे में लिप्त रहते है.
तामसिक मनुष्य दूसरों को अथवा समाज को हानि पहुंचाकर स्वयं का स्वार्थ सिद्ध करते है | तम प्रधान व्यक्ति, आलसी, लोभी, सांसारिक इच्छाओं से आसक्त रहता है ।
तमस् गुण के प्रधान होने पर व्यक्ति को सत्य-असत्य का कुछ पता नहीं चलता, यानि वो अज्ञान के अंधकार में रहता है। यानि कौन सी बात उसके लिए अच्छी है कौन सी बुरी ये पता नहीं चलता और इस स्वभाव के व्यक्ति को ये जानने की जिज्ञासा भी नहीं होती।

तामसिक भोजन - खूब तेल, मसालों और प्याज़-लहसुन डालकर बनाया गया भोजन तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है।

तमोगुण में मृत्यु को प्राप्त होने पर पशु पक्षी आदि नीच योनियों में नरक में जाते हैं ।

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