शाम का तारा - शुक्र Evening Star Venus

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चांद के नीचे जो छोटा सा बिंदु दिख रहा है वह शुक्र ग्रह है।

यह एक ग्रह होकर भी इतना ज्यादा चमकता है जिसके कारण इसे संध्या तारा तथा भोर तारा के नाम से भी जाना जाता है

यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं |

ऐसा क्यू होता है ये जानेगे इस स्केल मॉडल की मदद से

मॉडल में चार स्थलीय ग्रह है. इन्हे अंग्रेजी में इन्नर प्लैनेट्स भी जाना जाता है


बुध - Mercury

शुक्र - Venus

पृथ्वी - Earth

मंगल - Mars


अगर इस तालिका में देखे तो पृथ्वी की तुलना में अन्य ग्रहोंका आकार , सूर्य से अंतर और एक चक्कर काटने में लगने वाला समय निकल सकते है

जब पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाती है तो उसी समय में बुध ४ चक्कर , शुक्र ded chakkar और मंगल आधा ही चक्कर काटता है. ये डिज़ाइन करने में गियर्स की मदद ली गयी


वैसा तो सभी ग्रह एक रेशा में किसी वक्त आना असंभव है , मॉडल में गियर्स को निकालके हम ऐसा कर सकते है

सूर्य से बुध का अंतर ६ सेंटीमीटर , शुक्र का ११ , पृथ्वी का १५ और मंगल का २१ सेंटीमीटर के करीब रखा गया है.


पृथ्वी का व्यास या Diameter 4सेंटीमीटर है तो बुध का 1.5, शुक्र का ३.८ और मंगल का २.१ के करीब रखा गया है.


अब देखते है शुक्र ग्रह सूर्य के साथ पृथ्वी से कैसे दिखता है

बाकि ग्रहोंको निकलते है.

पृथ्वी को यहाँ पर स्थिर रखते है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है

शुक्र ग्रह अपनी कक्षा में चक्कर काटता है | इसी कारण उसका पृथ्वी और सूरज के साथ होनेवाला कोण बदलता रहता है

इसको अंग्रेजी में Elongation कहते है।

इसका मूल्य करीबन ४५ से ४७ के बिच बदलता रहता है

पृथ्वी और सूरज के सन्दर्भ में अगर शुक्र दाए तरफ हो तो ये ग्रह हमें सुबह दिखता है अगर बाये तरफ हो तो शाम के वक्त दिखता है

पृथ्वी की जगह ये बड़े प्लास्टिक बॉल को रखेंगे।

यहाँ पर मोबाइल कैमरा लगाएंगे जिसकी मदद से हम सुबह और शाम की स्थिति जान सके

शुक्र को दायी ओर रखेंगे

पृथ्वी को धीरेसे एंटीक्लॉक वाइज घुमाएंगे।

जब सुबह होती है तो पहले शुक्र का दर्शन होता है और बाद में सूरज का |

ये ज्यादा से ज्यादा ३ घंटे तक दिखाई देता है. उसके बाद सूरज की तेज रोशनी की वजह से इसे हम देख नहीं पाते

आकाश में कितना देर हम इसे देख पाते है ये शुक्र ग्रह अपनी कक्षा में कौनसी जगह है इसपर निर्भर होता है

या पर होगा तो सबसे ज्यादा समय देख सकते है

यहाँ पर होगा तो बहोत कम समय दिखेगा

इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है

इसे अंग्रेजी में Elongation एंगल भी कहते है

शुक्र को बाईं ओर रखेंगे

इस स्थिति में सूरज पहले आकाश में आता है इसलिए शुक्र ग्रह सुबह दिखाई नहीं देगा

कमरा को अभी उल्टा घुमाते है

अभी शाम का वक्त है और सूर्यास्त हो गया

उसके बाद शुक्र गृह आसमान में थोड़े समय तक दिखेगा

प्रसरकोण तय करेगा शाम को हम शुक्र गृह कितना देर देख पाते है

जैसे दाए और देखा वैसे बाये और भी ये जब करीब ४८ डिग्री होता है तो सबसे ज्यादा समय शाम को हम इसे देख पाते है

शुक्र ग्रह को अलग अलग स्थिति में रखकर हम इसका आसमान में कितना समय रहता है ये देख सकते है

यही बात हम online software Solar System Scope की मदद से भी देख सकते है

४ जून २०२३ को शुक्र ग्रह शाम के वक्त आसमान में सबसे ज्यादा देर दिखाई दिया

लगबघ सादे चार महीने बाद २३ सेप्टेम्बर २०२३ को इसकी स्थिति बदल गयी और ये शाम के बदले सुबह दिखने लगा

अब रहा आखरी सवाल। ये रात को क्यों नहीं दिखता ?

शुक्र की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से अंदर की और है जैसे बुध की भी है।

इसी कारण ये ग्रह कभी रात को नहीं दिखते जैसे की मंगल दिखता है

इसके बारे में अगले विडिओ में जानेगे


हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। यह कोण जब २२ से २४ डिग्री का होता है तब हम बुध को अच्छी तरह सुबह के समय देख पाते है.

शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लिए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है।

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