बरसते बादल सारांश “బరసతే బాదల్” కవిత సారాంశం ఇలా చదివి అభ్యాసం చేయండి .పూర్తి మార్కులు పొందండి.

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बरसते बादल कविता का सारांश
कवि परिचय :
कविता का नाम : बरसते बादल
कवि का नाम : श्री सुमित्रानंदन पंत
जीवन काल : 1900 – 1977
जन्म स्थल : अल्मोडा के कौसानी गाँव
ज्ञानपीठ पुरस्कार : चिदंबरा
प्रमुख रचनाएँ : वीणा , ग्रंधि , पल्लव, गुंजन , ग्रामया , स्वर्णकिरण , कला और बूढ़ा चाँद आदि ।
 उद्देश्य :
प्रकृति के प्रति काव्य रचना को प्रोत्साहन के साथ-साथ सौंदर्यबोध कराना , मनोरंजन की भावना जगाना और प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करना ।
सारांश :
कवि सावन की वर्षा का वर्णन इस प्रकार करते हैं-
1.सावन के महीने में मेघ झम-झम बरसते हैं ।
2. वर्षा की बूँदें छम-छम करती हुई वृक्षों से छन रही हैं ।
3. बादलों के घने अंधकार के बीच बिजली चम -चम चमक रही है ।
4. मन दिन में ही सपने देखने लगा है।
5. मेघ आकाश में चारों ओर छाकर घोर गर्जन करते है ।
6. मेंढ़क टर-टराते हैं। झिल्ली (झींगुर) झन- झन बजने लगता है। 7. मोर 'म्यव-म्यव' और चातक 'पीउ-पीउ' करने लगे।
8. सोनबालक भी आर्द सुख से क्रंदन करते हुए उड़ने लगे।
9. वर्षा की बूँदें रिमझिम रिमझिम आवाज़ करते हुए हमारे शरीर को छूने पर रोम-रोम सिहर उठता है।
10. धरती पर धाराएँ गिरती रहने से मिट्टी के कण-कण से कोमल अंकुर फूट पड़ते हैं।
11. कवि कहते हैं कि मेरा मन वर्षा की धाराओं को पकड़कर झूलने लगता है।
12.सब मुझे घेर कर सावन के गीत गाओ ।
13. हम सब मिलकर इंद्रधनुष के झूले में झूलेंगे।
14. ऐसा मन को मोहनेवाला सावन महीना जीवन में बार-बार आना चाहिए।
विशेषता :
इस कविता में प्रकृति सौंदर्य का अद्भुतवर्णन है। यह कविता मन को प्रकृति के अदृश्य लोक में विचरने को विवश करती है ।
धन्यवाद ।
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