निज रूप पूरे सतगुरु का प्रेम मन में छा रहा_दयालबाग़ सत्संग

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राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय
निज रूप पूरे सतगुरू का
प्रेम मन में छा रहा ।
बचन अमृत धार उनके
सुन अमी में न्हा रहा ।।१।।
जब से चरनों में लगा
और धूर चरनों की लई ।
मन के अन्तर का अँधेरा
मैल सब जाता रहा ।।२।।
🙏🙏 पोथी - "सार बचन नज़्म"
पृष्ठ - 432
🙏🙏 राधास्वामी🙏🙏

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