मेहनत और बुद्धि से खोलें भाग्य के बंद ताले | रायपुर चातुर्मास प्रवचन 2022 | श्री ललितप्रभ जी

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   • रायपुर चातुर्मास प्रवचन 2022  
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प्रस्तुति : अंतर्राष्ट्रीय साधना तीर्थ, संबोधि धाम, जोधपुर (राजस्थान)

शरीर श्वास से चलता है पर जीवन आत्मविश्वास से आगे बढ़ता है इसलिए अपने आत्मविश्वास को, मन की शक्ति को हमेशा सुरक्षित रखें। किस्मत के बंद तालों को खोलना है तो उसका पहला मंत्र है- जीवन में हमेशा सकारात्मक नजरिया रखें, दूसरा- आप क्या और कैसा बनना चाहते हैं लक्ष्य निर्धारित करें, तीसरा- लक्ष्य प्राप्ति की योजना तैयार करें, चौथा- हां मैं यह कर सकता हूं, अपने भीतर ऐसा आत्मविश्वास जगाएं और अंतिम मंत्र है- लगन के साथ लगातार पुरूषार्थ करते रहें।’’
अपने भीतर लक्ष्य प्राप्ति का जज्बा पैदा करें और अपने नजरिए को हमेशा सकारात्मक बनाए रखें। ‘‘उड़ते वही हैं जिनके जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों में जान होती है। घड़ी जब तक चलती है तो वह कमरे में होती है, जब बंद हो जाती है तो कचरे में चली जाती है।
संतप्रवर ने आगे कहा कि बैठे-ठाले जिंदगी कभी किसी इंसान को परिणाम नहीं दिया करती। गाय का दूध निकलता नहीं है, गाय का दूध निकालना पड़ता है। अकर्मण्य-आलसी को खाली बैठना अच्छा तो बहुत लगता है पर खाली बैठने का परिणाम अच्छा नहीं होता। आदमी को जिंदगी में मुकाम पाने के लिए लगे रहना पड़ता है। लगे रहने वाला एक कछुआ भी जिंदगी में धीरे-धीरे शिखर तक पहुंच जाता है। और बिना लगन से तेज दौड़ने वाले को एक दिन पीछे रहना पड़ता है। जिंदगी में विजयी होने का पहला मंत्र है-लगन। आदमी को लगन से लगना पड़ता है। जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए-प्रगति करने के लिए जज्बा चाहिए, कड़ी मेहनत, पुरूषार्थ और बड़ी सोच चाहिए। बिना पुरूषार्थ, परिश्रम के कभी भी कोइ्र आगे बढ़ सकता नहीं। हमारे समक्ष अब्दुल कलाम, रविन्द्र जैन, धीरूभाई अंबानी, घनश्यामदास बिड़ला आदि ऐसी कई महान शख्सियतों ने मिशाल बनाई है, जिन्होंने प्रतिकूलताओं को भी अपनी लगन, मेहनत से अनुकूलताओं में बदल दिया और शिखर तक पहुंचे। गरीब किसान के घर जन्मा लाल बहादुर शास्त्री एक दिन प्रधानमंत्री बनता है, आदिवासी परम्परा का जीवन जीते हुए भी ऊंची सोच रखने वाली द्रोपदी मुर्मू राष्ट्र्पति बनती है। आगे बढ़ने के लिए किसी की कृपा होने की जरूरत नहीं है, आगे बढ़ने के लिए आदमी के भीतर हौसला-जज्बा चाहिए। कुछ लोग होते हैं जो जीवन को कोसते रहते हैं। निराशाएं, हताशाएं, हीन भावनाएं हमारी जिंदगी को कमजोर करती हैं।
जब तक आदमी के भीतर उत्साह है, तब तक आदमी के भीतर सफलता की हजार संभावनाएं हैं। वैज्ञानिक थम्ब अल्वा एडीशन ने बल्व का आविष्कार करने 9,999 बार प्रयोग किए और असफल होते रहे, मगर वे लगे रहे आखिर दस हजारवीं बार उनका प्रयोग रंग लाया और वे सफल हो गए। विश्वास रखना हर असफलता में सफलता का कोई न कोई भविष्य छिपा रहता है। आदमी लगा रहे और न पहुंच पाए ऐसा हो ही नहीं सकता। क से करमफूटा होता है, कम से कर्मयोग होता है और क से ही किस्मत होती है। कर्मफूटा भी अगर कर्मयोग करेगा तो वह भी किस्मत के बंद तालों को खोलने में सफल हो जाएगा।
किस्मत सत्कर्म से बनती है और पुरूषार्थ से खुलती है
आदमी के पुण्य या शुभ का बंधन उसके सत्कर्म से होता है, लेकिन आदमी के भाग्य उसके पुरूषार्थ से खुलते हैं। आदमी की किस्मत सत्कर्म से बनती है पर बंद किस्मत के तालों को खोलने के लिए पुरूषार्थ करना पड़ता है। किस्मत सत्कर्म से बनती और पुरूषार्थ से खुलती है। पर जरूरी है पुरूषार्थ से किस्मत को खोलने के लिए कि सत्कर्म कर-करके अपने पुण्य की पूंजी बनाते रहो, बस तुम्हारे पुण्य का एकाउंट भरा हुआ हो। चंदन घिसकर खुशबू देता है, हीरा कट कर चमक देता है और आदमी की मेहनत उसे जीवन का परिणाम दिया करती है। भाग्य ने आपकी थाली में भोजन भेज दिया है पर उसे मुंह तक ले जाने के लिए आपको हाथ से काम लेना होगा। भाग्य ने आपको समुद्र पार करने नाव दे दी, पर उस पर जाने के लिए आपको पतवार तो चलानी ही पड़ेगी। पहली बात याद रखना जीवन के अंधेरे को कोसने की जरूरत नहीं है, अंधेरा दुनिया में कहीं नहीं होता, जहां-जहां प्रकाश नहीं होता उसी का नाम अंधेरा है। अंधेरे को दूर करने के लिए एक दीपक जलाने की जरूरत है। ऐसे ही जो लोग अपने जीवन में मेहनत रूपी दीपक जला लेते हैं, वे सफल अवश्य होते हैं।
लॅक, भाग्य, नसीब, किस्मत परिणाम तब देते हैं जब आदमी मेहनत करता है
दो अक्षर का लॅक है, ढाई अक्षर का भाग्य है, तीन अक्षर का नसीब है, साढ़े तीन अक्षर की किस्मत है। पर ये चारों आदमी को परिणाम तब देते हैं जब आदमी चार अक्षर की मेहनत किया करता है। बिना मेहनत, परिश्रम के आदमी को कभी परिणाम नहीं मिलते हैं। जिंदगी में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होतीं। तुम जहां खड़े हो, ये तुम्हारी मंजिल नहीं यह तो तुम्हारा पहला पड़ाव है। नंबर-1 हर आदमी अपने किस्मत के तालों को खोल सकता है। नंबर-2 हर आदमी के जीवन में संभावनाएं शेष हैं, नंबर-3 अगर आपकी किस्मत कमजोर है तब भी मेहनत किए जाओ, आपकी मेहनत जरूर रंग लाएगी।
बेटी है सद्भाग्य हमारा
बेटियों को पढ़ाने आगे बढ़ाने की प्रेरणा। जिसके किस्मत में संतान का सुख ज्यादा होता है, ईश्वर केवल उन्हें ही बेटियां देता है। बेटी है अभिमान हमारा, बेटी है सम्मान हमारा। जिस घर बेटी जन्मे, वो है सद्भाग्य हमारा।

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