छत्तीसगढ़ में तीखुर के बारे में (About Teekhur (Tikhur) in Chhattisgarh)

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तीखुर क्या है? (What is Indian Arrowroot (Tikhur))
प्राचीन काल में वंशलोचन के अभाव में तीखुर का प्रयोग किया जाता था। कई स्थानों पर अरारोट के स्थान पर भी तीखुर का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन तीखुर और अरारोट दोनों के भिन्न-भिन्न पौधे हैं।

तीखुर तनारहित, कंद-मूल युक्त हल्दी के जैसे दिखने वाला शाक है। तीखुर का पौधा कई वर्ष तक जीवित रहता है। तीखुर के पत्ते 30-45 सेमी लम्बे, तीखे नोंकदार होते हैं। इसके पत्ते हल्दी के पत्ते जैसे और हरे रंग के होते हैं। तीखुर के फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल सम्पुट, अण्डाकार होते हैं। इसके बीज अनेक और छोटे होते हैं। इसका प्रकन्द मूल छोटा, लम्बे गूदेदार रेशे से युक्त होता है। तीखुर के पौधे में फूल और फल जुलाई से नवम्बर तक होता है।

यहां तीखुर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Indian Arrowroot benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप तीखुर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।


अनेक लोगों को तीखुर (Indian Arrowroot or Tikhur) के बारे में जानकारी है, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो नहीं जानते कि तीखुर क्या है, या तीखुर के फायदे क्या-क्या हैं। तीखुर हल्दी के जैसा ही होता है, और हल्दी के फायदे की तरह ही तीखुर के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, तीखुर एक जड़ी-बूटी है, और तीखुर के अनेक औषधीय गुण हैं। घाव, बुखार, खांसी, सांसों की बीमारी, अधिक प्यास लगने की समस्या में तीखुर के इस्तेमाल से फायदे (Indian Arrowroot benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, एनीमिया, मूत्र रोग, डायबिटीज, पीलिया आदि रोगों में भी तीखुर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है @cgforest

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