गेहू में पहली सिंचाई और बुआई में ये खाद डाल दो, उत्पादन मिलेगा 30 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक|
गेहू की पहली सिचाई और बुआई में क्या खाद लगाए
Query Solved:- किसान भाइयों फसल के पोषण के लिए सही खाद और उर्वरक का चुनाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह फसल की वृद्धि, विकास, और उत्पादन को प्रभावित करता है। गेहूं की फसल के लिए सबसे अधिक आवश्यक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक और सल्फर जैसे पोषक तत्व शामिल हैं। इस रिपोर्ट में हम गेहूं की फसल के लिए इन सभी तत्वों के महत्व और उनके उचित उपयोग के बारे में चर्चा करेंगे। खेत में पोषक तत्वों की कमी से गेहूं की फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जिससे किसान की आय में कमी आ सकती है। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि कौन से पोषक तत्व गेहूं की फसल के लिए आवश्यक हैं और उन्हें किस रूप में और कितनी मात्रा में देना चाहिए। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों का भी सही तरीके से उपयोग करें, ताकि भूमि की उर्वरता बनी रहे और पर्यावरण पर भी कम से कम नकारात्मक प्रभाव पड़े। गेहूं की फसल में जिंक और सल्फर का उपयोग विशेष रूप से फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होता है।
खाद का चयन और उपयोग
गेहूं की बिजाई के दौरान खाद का चयन और उसकी सही मात्रा का प्रयोग फसल की अच्छी वृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), और पोटाश (K) यह तीन मुख्य पोषक तत्व हैं, इनके अलावा, जिंक और सल्फर का भी प्रयोग फसल की सेहत के लिए जरूरी है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए, ज़रूरी पोषक तत्वों की मात्रा इस प्रकार होनी चाहिए: नाइट्रोजन - प्रति एकड़ 60 किलोग्राम, फास्फोरस - प्रति एकड़ 25 किलोग्राम, पोटाशियम - प्रति एकड़ 25 किलोग्राम, सल्फर और जिंक - प्रति एकड़ 10 किलोग्राम। गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की तुलना में पोटाश की ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है। गेहूं की फसल में फास्फेट और सल्फर की जरूरत कम होती है, लेकिन फिर भी यह जरूरी है। गेहूं की फसल में उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के आधार पर करना चाहिए। गेहूं की फसल में कल्ले बढ़ाने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। कैल्शियम की कमी होने से पौधे जमीन से पोषक तत्व नहीं ले पाते।
नाइट्रोजन
किसान साथियों, की फसल में नाइट्रोजन पौधों के लिए सबसे आवश्यक पोषक तत्व होता है। इसके उपयोग से पौधों की वृद्धि तेजी से होती है और पौधों की हरियाली में भी वृद्धि होती है। नाइट्रोजन पौधों में फोटोसिंथेसिस के लिए बहुत ही जरूरी होता है। नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत यूरिया है। गेहूं की फसल में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए आप बिजाई के समय 20 से 30 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया का उपयोग कर सकते हैं और उसके बाद पहली और दूसरी सिंचाई पर आप एक बैग प्रति एकड़ के हिसाब से गेहूं की फसल की सही वृद्धि और हरियाली के लिए डालना आवश्यक है। अगर आपने गेहूं की बिजाई देर से की है तो आप बिजाई के समय इसकी मात्रा को बढ़ाकर 30 से 40 किलो प्रति एकड़ भी कर सकते हैं।
फास्फोरस
किसान साथियों, फास्फोरस पौधों में जड़ों का विकास, तने की मजबूती, और दाने की भराई में मदद करता है। इसके लिए डीएपी का प्रयोग किया जाता है, जिसमें 46% फास्फोरस होता है। यदि डीएपी उपलब्ध नहीं हो रही हो, तो एनपीके (NPK) का प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें फास्फोरस की मात्रा हो। फास्फोरस की सही मात्रा 30-50 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए, जो मिट्टी की स्थिति और गेहूं की वैरायटी के अनुसार थोड़ी बहुत कम या ज्यादा हो सकती है।
पोटाश
साथियों, गेहूं की फसल में पोटाश का प्रयोग दाने के आकार को बढ़ाने और उसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए किया जाता है। इसे एमओपी (Muriate of Potash) के रूप में डाला जाता है, जो दाने के विकास में सहायक है। पोटाश की मात्रा 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ डाली जा सकती है, इसकी मात्रा में भी मिट्टी की स्थिति और फसल की अवस्था को ध्यान में रखते हुए थोड़ी बहुत कमी या ज्यादा की जा सकती है।
जिंक
किसान भाइयों, जिंक एक अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो गेहूं की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर जड़ों के विकास और रोग प्रतिकारक क्षमता में। जिंक को डीएपी के साथ नहीं डाला जा सकता, बल्कि इसे अलग से डालना चाहिए। इसकी मात्रा लगभग 5 किलोग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता फसल को कई प्रकार के रोगों से बचाती है, जिसके कारण आपकी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है
सल्फर
दोस्तों, सल्फर भी एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो गेहूं की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में योगदान करता है। वैसे तो सल्फर का उपयोग ज्यादातर तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन गेहूं में सल्फर की कमी से फसल में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। यदि आपकी मिट्टी में सल्फर की कमी हो, तो सल्फर का प्रयोग किया जा सकता है, और इसकी मात्रा लगभग 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए।
एनपीके
किसान साथियों, गेहूं की बिजाई के समय अगर आपके पास डीएपी उपलब्ध नहीं हो रही, तो एनपीके का चयन करना एक सबसे अच्छा विकल्प है। आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के एनपीके (जैसे 12:32:16, 10:26:26, 20:20:13) उपलब्ध हैं। इनमें से 12:32:16 में 32% फास्फोरस और 16% पोटाश होता है, जबकि 10:26:26 में 26% फास्फोरस और पोटाश दोनों होते हैं। इनका उपयोग मिट्टी और फसल की जरूरतों के हिसाब से किया जा सकता है। यह आपकी फास्फोरस की कमी को दूर करके आपकी फसल के उत्पादन को बढ़ाने में अत्यंत लाभदायक विकल्प है।
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