Freedom of Women-Hari Bindi- Mridula Garg मृदुला गर्ग की कहानी 'हरी बिंदी' समीक्षा BBA/BCA 1st Sem

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The story ‘Hari Bindi’ written by ‘Mridula Garg’ depicts the moods of a modern woman, this young woman is bored with the monotony of married life. The protagonist of the story represents the modern woman who does not want any bondage of society on herself, who Knows her dignity and also wants her right to freedom. This story represnts the rebellious mind of a woman against a male dominated society.
हरी बिंदी कहानी का सारांश
’मृदुला गर्ग’ द्वारा रचित कहानी ‘हरी बिंदी’ में एक आधुनिक नारी के मनोभावों का, दाम्पत्य जीवन की एकरसता से ऊबी हुई युवती की मनोदशा का चित्रण किया गया है| कहानी की मुख्य पात्र आधुनिक नारी का प्रतिनिधित्व करती है| आधुनिक नारी  अपने ऊपर समाज का कोई बंधन नहीं चाहती| अपनी मर्यादा जानती है, लेकिन अपनी स्वतंत्रता के अधिकार को भी पाना चाहती है| यह कहानी पुरुष प्रधान समाज के विरुद्ध एक नारी के विद्रोही मन को दर्शाती है|
नायिका अपने दांपत्य जीवन की घुटन से परेशान है| अपने बंधनकारी दांपत्य जीवन से अलग सुकून के कुछ पल जीना चाहती है| एक बार उसका पति राजन शहर से बाहर चला जाता है तो वह एक दिन के लिए अपनी मर्जी के अनुकूल जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हो जाती है| अपना मनमाना व्यवहार करती है| सुबह देर से उठती है, अकेली घूमने जाती है| फिल्म देखती है, अजनबी के साथ रेस्तरॉं में चाय पीती है, स्वच्छंदता से घूमती है| वह सब करती है, जो वह करना चाहती है| लेकिन इसके साथ ही वह अपनी मर्यादा का ध्यान भी रखती है|
कहानी कुछ इस प्रकार है | सुबह ६.३० बजे जागने पर जब उसे याद आता है कि पति राजन दिल्ली चला गया है, तो सोचती है कि अब उठने की कोई जल्दी नहीं है और फिर सो जाती है | दो घंटे बाद उठकर, तयार होती है | नीले रंग के ड्रेस पर हरी बिंदी लगाती है | जानती है कि यह बेतुका लगेगा | अगर पति राजन होता, तो जरुर टोकता, लेकिन राजन नहीं है इसलिए एक दिन खुलकर जीना चाहती है |
कहॉं जाना है यह निश्‍चित किये बिनाही घर से बाहर निकलती है | टैक्सी को आवाज लगाती है और टैक्सी में बैठने के बाद निर्णय लेती है कि जहॉंगीर आर्ट गैलरी जाना है | गैलरी में लगी किसी आधुनिक चित्रकार की प्रदर्शनी को देखती है और सबके सामने जोर से हँस पडती है | सडक के किनारे रेस्तरॉं देखकर याद आता है कि भूख लगी है, तब अन्दर जाकर आदेश देती है ‘‘एक गरमागरम आलू की टिकिया और एक आइस्क्रिम, एक साथ|’’ ठंडी और गरम चीजें एक साथ खाने से दॉंत खराब हो जायेंगे, यह नहीं सोचती | आज पति नहीं है, तो उसपर कोई बन्धन नहीं है | जब इस आदेश पर वेटर चौंकता है तो पूछती है ‘‘कोई ऐतराज है?’’
पास के सिनेमाघर में उसके चहेते अंग्रेजी कॉमेडियन डैनी के की फिल्म लगी है, जो उसके पति को बिल्कुल अच्छे नहीं लगते | अकेली सिनेमाघर जाऊँगी तो कैसा लगेगा, यह बिना सोचे समझे फिल्म देखने जाती है और डैनी के की कॉमेडी देखकर ठहाके लगाकर हँसती है | बगल में एक अजनबी पुरुष बैठा है, वह भी हँस रहा है | शायद डैनी के उसके भी पसंदीदा कलाकार है | सिनेमाघर से बाहर निकलते हुए उस अपरिचित से खुद बात करती है और कॉफी पीने के लिए आमंत्रित करती है | कॉफी पीकर दोनों टैक्सी में बैठकर निकलते हैं, और घर पास आने पर नायिका टैक्सी से उतरती है | अबतक दोनों ने एक दूसरे का नाम जानना भी जरुरी नहीं समझा है | वह व्यक्ति कहता है ‘‘आज का दिन मेरे लिए काफी किमती रहा है, मैंने आज से पहले किसी को हरी बिंदी लगाए नहीं देखा|’’
यह सुनकर नायिका ठिठक जाती है | माथे पर हरी बिंदी लगाना उसके पति राजन को बेतुका लगता है, वहीं इस अनजान पुरुष के लिए वह अनोखी बात है | अर्थात उस अजनबी व्यक्ति के विचार भी इसके विचारों से मिलते हैं | यहॉं कहानी का अंत होता है |
कहानी द्वारा यह स्पष्ट होता है कि नायिका परम्परागत सामाजिक नियमों को नकारकर स्वाभाविक जीवन जीना चाहती है |
विशेषता : आज नारी हर क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर चुकी है, फिर भी उसे पति के अनुशासन में रहना पड़ता है| इसलिए वह घुटन महसूस करती है और अवसर मिलते ही अपनी निजी जिन्दगी बिताने का प्रयास करती है| आधुनिक नारी अपनी इच्छा और अस्तित्व के प्रति सजग हुई है| यही बात मृदुला गर्ग ने कहानी के माध्यम से बतानी चाही है |
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