Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть १. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay

  • छन्दसरिता Chhandasarita
  • 2025-10-10
  • 70
१. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay
  • ok logo

Скачать १. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно १. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку १. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео १. मिलेन कहिल्यै शान्ति (नेपालआमाको गुनासो) | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay

१. मिलेन कहिल्यै शान्ति
छन्द : अनुष्टुप्
जानेर अहिले सम्म, निदाएकी कहाँ छु म ?
जिन्दगी शान्ति का साथ, बिताएकी कहाँ छु म ?
बनेर गाउँले राज्य, लडेथेँ पहिले पनि
शत्रुतापूर्ण आगो मा, डढेथेँ पहिले पनि १

राज्यविस्तार का बेला, यत्रतत्र म पोलिएँ
एकीकरण मा उस्तै, वर्षौं सम्म बिथोलिएँ
बडो सङ्कष्ट खेपेर, उनिएकी म हार हुँ
परिश्रमी म नेपाली, मौरी को मह घार हुँ २

धेरै आपद् विपद् झेलेँ, शाहतन्त्र हुँदा पनि
अग्नि का साथ मा खेलेँ, राणातन्त्र हुँदा पनि
मैले भूस्वर्ग को वास, कहिल्यै हेर्न पाइनँ
कहिल्यै शान्ति को सास, मजा ले फेर्न पाइनँ ३

हिजो अन्त गई छोरा, अरू को काम गर्दथे
अरू को भर्दथे बोरा, अरूकै लागि मर्दथे
परिस्थिति उही नै छ, अहिले पनि गाउँ मा
अभाव को उही जाँतो, घुम्दैछ ठाउँ ठाउँ मा ४

विदेश को भई गोटी, सन्तान नलडे हुने
एकैचोटि तिनैकोटि, उत्थान मा बढे हुने
लडेका छन् दुवै हात, एकार्का सँग जोड ले
हुन्थ्यो र कसको जीत, यो अनाहक होड ले ?५

हारेकी छु सधैँ मैले, बारम्बार लडाइँ मा
भएकी छु खरानी म, आफ्नै घर डढाइ मा
गएन कहिल्यै भ्रान्ति, सिद्धान्त मत वाद को
मिलेन कहिल्यै शान्ति, कृष्ण चैतन्य नाद को ६

२.होस् काव्य-धारा
छन्द : उपजाति
झर्ना बगे झैँ कविता बगाऊँ
म फूल को मादकता जगाऊँ
पीयूष झैँ त्यो पिउने बनाऊँ
म काव्य वर्षौं जिउने बनाऊँ १

होस् काव्य मा मन्द-सुगन्ध वायु
विचार औ भाव बनून् चिरायु
वसन्त को मोहकता त्यहाँ होस्
विद्रोह को दाहकता त्यहाँ होस् २

त्यो काव्य मा ईश्वर-भक्ति आओस्
या मातृभू को अनुरक्ति आओस्
तरङ्ग ल्याओस् मन को नदी मा
र रङ्ग ल्याओस् हर जिन्दगी मा ३

म कोइली को मधु-राग ल्याऊँ
कि छन्द को दिव्य पराग ल्याऊँ
रनन्न रन्कोस् तन मा कतै त्यो
घनन्न घन्कोस् मन मा सधैँ त्यो ४

त्यो काव्य मा जून खुलेर हाँसोस्
घुमी-घुमी नित्य मयूर नाचोस्
बोलूँ म जे जे प्रिय बोलिराखूँ
त्यहाँ म मीठो मह घोलिराखूँ ५

होस् काव्य मा जीवन-वारि-मेघ
साथै त्यहाँ होस् अनुभूति-वेग
झुल्कोस् उहीँ बाट नयाँ सितारा
होस् भव्य आकर्षक काव्य-धारा ६
अनुरक्ति = प्रेम
दाहकता = पोल्ने भाव
जीवन - वारि - मेघ = जीवन रूपी पानी वर्षाउने बादल
नेपालआमाको गुनासो १. मिलेन कहिल्यै शान्ति | २. काव्यधारा by Krishnasharan Upadhyay
#अनुष्टुप् छन्द #उपजाति छन्द
#motivation #छन्दसरिता #nothingimposibleinthisworld #chhanda #chanda #छन्द #संस्कृत #संस्कृति #duet

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]