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Скачать или смотреть वैदिक सभ्यता : - ऋग्वैदिक काल के नोट्स

  • Anita Sharma
  • 2022-07-22
  • 143
वैदिक सभ्यता : - ऋग्वैदिक काल के नोट्स
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Описание к видео वैदिक सभ्यता : - ऋग्वैदिक काल के नोट्स

ग्रामीण संस्कृति, आर्य - अनार्य - युद्ध, #राजनैतिक जीवन
सभा, समीति, विदथ
कुल, ग्राम, विश, जन, राष्ट्र
सामाजिक जीवन - संयुक्त परिवार
महिलाओं की स्थिति
उपनयन संस्कार
वर्ण - व्यवस्था

#ऋग्वैदिक काल में #आर्थिक और #सामाजिक जीवन का विस्तृत वर्णन।
पशु पालन मुख्य व्यवसाय रहा।
गाय का महत्व था।
गाय को अष्टकर्णी कहा गया।
ऋग्वैदिक काल में लोग जिस देवता की पूजा करते उसे ही सर्वोच्च देवता मान लेते थे।
अगले विडियो में हम उतर वैदिक काल के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।

   • वैदिक सभ्यता (आरम्भिक जानकारी)  
वैदिक सभ्यता की आरम्भिक जानकारी

   • चारो वेदों का विस्तृत वर्णन  
चारों वेदों का विस्तृत विवरण

   • ऋग्वैदिक कालीन जीवन - Part - 1  
ऋग्वैदिक कालीन जीवन - Part - 1

   • ऋग्वैदिक कालीन जीवन - Part - 2  
ऋग्वैदिक कालीन जीवन - Part - 2

1.सिंधु सरस्वती सभ्यता के पतन के बाद जिस नई संस्कृति का उद्भव हुआ उस सभ्यता की जानकारी हमें वेदों से प्राप्त होती है।
2.वैदिक सभ्यता के लोग आर्य थे।
3.आर्य शब्द का प्रयोग जातिवाचक ना होकर गुणवाचक रूप में किया गया है।
4.जिसका शाब्दिक अर्थ है - श्रेष्ठ या उत्तम।
5.कुछ पश्चिमी विद्वानों ने आर्यों को बाह्मय आक्रमणकारी बताकर अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय दिया है।
6.आर्यों के मूल निवास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। 7.भाषा शास्त्र के ज्ञान के आधार पर एवं आर्यों के मूल प्रदेश से संबंधित सर्वाधिक मान्य मत के आधार पर भारत को ही आर्यों का मूल निवास माना गया है।
8.आर्य भारत के ही निवासी थे।
9.वैदिक साहित्य में आर्यों को कहीं पर भी विदेशी नहीं कहा है।
० मैक्समूलर के अनुसार आर्य लोग मध्य एशिया के थे।
० बाल गंगाधर तिलक के अनुसार आर्य उत्तरी ध्रुव के थे।              (पुस्तक-आर्कटिक होम ऑफ वेदास)
० गार्डन चाइल्ड के अनुसार आर्य लोग दक्षिण रूस के थे।
० पेनका, हर्ट के अनुसार आर्य लोग जर्मनी के थे।
० स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार आर्य लोग तिब्बत के थे।      (पुस्तक - सत्यार्थ प्रकाश)
आर्यों के प्राचीन ग्रंथ वेदों में विशद् ज्ञान भरा हुआ है।
*  इनकी भाषा संस्कृत थी, जिसे देववाणी कहा जाता है।

*#वैदिक सभ्यता का काल - 1500 ई०पू० से 600 ई०पू० तक का माना जाता है।
वैदिक काल को दो भागों में बाँटा गया है -
(i) ऋग्वैदिक काल - 1500ई०पू० - 1000ई०पू०
     इस काल की जानकारी हमें ऋग्वेद से प्राप्त होती है।
(ii)उत्तर वैदिक काल - 1000 ई०पू० से 600 ई०पू०
      इस काल की जानकारी हमें सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद से         मिलती है।

सिंधु सभ्यता व वैदिक सभ्यता में सबसे प्रमुख #अंतर यह था        कि सिंधु सभ्यता नगरीय व वैदिक सभ्यता ग्रामीण थी।

ऋग्वैदिक काल (1500 ई० पू० से 1000 ई०पू०)

ऋग्वैदिक कालीन जीवन :-
ग्रामीण संस्कृति थी ।
इस कार्य के लोग लोहे से अपरिचित थे ।
इनका मुख्य व्यवसाय पशुपालन था ।
राजतंत्र विद्यमान था ।
कबीलाई जीवन व्यतीत करते थे ।(घुमक्कड़ यायावर)
प्रमुख ग्रंथ ऋग्वेद से इनकी जानकारी प्राप्त होती है, जो कि अनेक बातों में ईरानी ग्रंथ अवेस्ता से मिलता जुलता है।

० दसराज्ञ युद्ध - ऋग्वेद में एक बड़े युद्ध का उल्लेख मिलता है, जो कि दसराज्ञ युद्ध के नाम से जाना जाता है।
यह युद्ध भरत जन व दस राजाओं के बीच हुआ था।
भरत जन के साथ पुरोहित वशिष्ठ व दस राजाओं के साथ विश्वामित्र थे।
इस युद्ध में भरत जन कबीले की जीत हुई।
भरत जन का राजा सुदास था।
यह युद्ध पूरूष्णी नदी के किनारे हुआ।
दस राजाओं में पाँच राजा आर्य और पाँच अनार्य थे।
   पांच आर्य राजाओं में-अनु, यदु, तुर्वस, पुरू एवं द्रुह्मा थे।
अनार्य राजाओं में-अलिन, पक्थ, भलान, विषाणिन व शिव       जनपद थे।
० ऐसा कहा जाता है कि राजा सुदास ने विश्वामित्र को पुरोहित पद से हटाकर वशिष्ठ को पुरोहित बना दिया था।
इसलिए विश्वामित्र ने दस राजाओं को संगठित कर सुदास से युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। लेकिन इसमें सुदास की विजय हुई।

राजनैतिक जीवन:-
० ऋग्वैदिक काल में कुल सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई थी और राष्ट्र सबसे बड़ी इकाई थी।
० कुल का मुखिया कुलुप होता था।
० गाँव का मुखिया ग्रामणी कहलाता था।
० अनेक गाँव के समूह को विश कहते थे जिसके प्रधान को विशपति कहा जाता था।
० अनेक विश का समूह जन और जन का प्रधान जनपति (गोप अर्थात् राजा) कहलाता था।
० और अनेक जनों का समूह राष्ट्र कहलाया जिसका मुखिया राजा होता था। उसे जनस्यगोपा या गोपति भी कहा जाता था। ० ऋग्वेद में 275 बार "जन" शब्द का उल्लेख हुआ।
० ऋग्वेद में देश या राज्य के लिए राष्ट्र शब्द काम में आया।
० ऋग्वेद में राजा का पद अनुवांशिक था, किंतु समिति उसे चुनती थी।
० सभा वृद्ध जनों एवं कुलीन लोगों की संस्था थी।
० समिति सामान्य जनता की प्रतिनिधि संस्था थी।

ऋग्वेद में निम्न समितियों का उल्लेख मिलता है:-
सभा - यह अनुभवी, वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों की संस्था थी जो राजा को परामर्श एवं न्याय कार्य में सहयोग करती थी।
समिति - यह सामान्य जनता की प्रतिनिधि संस्था थी जिसमें महत्वपूर्ण राजनैतिक एवं सामाजिक विषयों पर विचार होता था।
विदथ - यह आर्यों की सबसे प्राचीनतम संस्था थी जिसमें कबिलाई तत्व थे।
महिलाएं सभा और विदथ में भाग लेती थी।
यह पूर्व में पढ़ चुके हैं कि ऋग्वेद में आर्य और अनार्य जातियों का वर्णन मिलता है।
राजा की सहायता के लिए सेनापति,पुरोहित,ग्रामणी आदि 12 रत्नीत का उल्लेख मिलता है।

सामाजिक जीवन :-
ऋगवेद कालीन सामाजिक संरचना अपेक्षाकृत सरल थी।
इस काल में परिवार संयुक्त रहता था।
समाज पितृसत्तात्मक था।
परिवार तथा समाज में महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी।
सती प्रथा, बाल-विवाह आदि का उल्लेख नहीं मिला।
पुनर्विवाह और नियोग प्रथा प्रचलित थी।
ऋग्वेद में स्त्रियों को संपत्ति का अधिकार नहीं था।
इस काल में उपनयन संस्कार महिलाओं का होता था।
(उपनयन संस्कार-विधिवत् शिक्षा प्रदान करना)

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