दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ आपके आभामंडल को स्वच्छ करता है ..
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शारीरिक, मानसिक सुख की प्राप्ति होती है, सभी चिंताएं दूर होती हैं, शत्रुओं का नाश होता है, और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राहु-केतु के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है, कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है, और संतान सुख की प्राप्ति होती है। आर्थिक, भौतिक और आध्यात्मिक सुख की कमी पूरी होती है, साथ ही व्यक्ति को देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है।
अध्याय-वार लाभ
प्रथम अध्याय: जीवन की समस्त चिंताओं का नाश होता है।
द्वितीय और तृतीय अध्याय: सभी प्रकार के शत्रु, विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं, तथा कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय मिलती है।
चतुर्थ अध्याय: अच्छा जीवन साथी मिलता है और देवी की कृपा व भक्ति प्राप्त होती है।
पंचम अध्याय: देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्ति व शक्ति की प्राप्ति होती है।
षष्ठम अध्याय: जीवन से दुख, दरिद्रता और भय दूर होता है।
सप्तम अध्याय: सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अष्टम अध्याय: वशीकरण की शक्ति मिलती है, और मित्रता में लाभ होता है।
नवम अध्याय: संतान की प्राप्ति होती है, और संतान के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह लाभकारी है।
दसवां अध्याय: नवें अध्याय के समान ही फल मिलता है।
ग्यारहवां अध्याय: सभी प्रकार की भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति होती है, और व्यापार में सफलता मिलती है।
बारहवां अध्याय: मान-सम्मान और लाभ की प्राप्ति होती है, साथ ही रोगों से छुटकारा मिलता है।
तेरहवां अध्याय: मोक्ष और भक्ति की प्राप्ति होती है, और व्यक्ति संकटों से सुरक्षित रहता है।
अन्य लाभ
नियमित पाठ से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यह राहु-केतु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक होता है।
नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, ईर्ष्या और घृणा को दूर करता है।
यह पाठ व्यक्ति को जीवन के हर मोड़ पर खुशहाल बनाता है और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
Durga Saptashati: दुर्गा सप्तशती का आजमाया हुआ उपाय,
Durga Saptashati: हिंदू धर्म में पुराणों को विशेष महत्व दिया गया है। सभी 18 पुराणों में मार्कंडेय पुराण का अपना अगल महत्व है। दुर्गासप्तशी मार्कंडेय पुराण का ही महत्वपूर्ण अंग है।
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