पशु पालन ( पशु परिचर संसोधित पाठ्यक्रम) class- 01 पशु जनन ( नर जनन तंत्र)

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पशु परिचर पाठ्यक्रम पशु पालन class- 01 ( जनन) - unit -01 नर जनन तंत्र
नर में से वृषण नर के मुख्य जनन अंग हैं तथा शेष सभी सहायक जनन अंग हैं।
1. वृषण-प्रत्येक मनुष्य में अंडाकार अखरोट के माप के दो वृषण होते हैं जो त्वचा की पतली थैली, वृषण कोष के अंदर तथा उदर के नीचे वाले भाग में स्थित होते हैं। प्रत्येक वृषण से एक नली निकलती है, जिसे शुक्रवाहिनी कहते हैं।
2. शुक्राणु नलिकायह एक लंबी तथा कुंडलित नलिका की संरचना है। यह शुक्राणुओं को संचित करती है और उन्हें गतिमान बनाती है। वृषण से निकलने के बाद शुक्राणु नलिका सीधी हो जाती है तथा उसका व्यास बढ़ जाता है। अब इसे शुक्रवाहिनी कहते हैं और यह मूत्राशय से आने वाली नली मूत्रमार्ग से जुड़ जाती है।
3. शिश्न-मूत्रमार्ग एक पेशीय अंग द्वारा शरीर के बाहर खुलता है जो कि शिश्न कहलाता है। मूत्र तथा शुक्र दोनों एक ही मार्ग शिश्न से निकलते हैं। शिश्न में बहुत अधिक रुधिर प्रवाहित होता है। शिश्न शुक्राणुओं को मादा जननांगों में छोड़ देता है।



नर जननांगों में मूत्र विसर्जन और रतिक्रिया के लिए एक ही अंग होता है. वहीं, मादा जननांगों में अलग-अलग छेद होते हैं.
मादा जननांगों में अंडाशय अंडों का निर्माण करता है.
नर जनन तंत्र में, शुक्राणुओं या वीर्य का निर्माण होता है, जिसे मादा जननांगों में जमा किया जाता है. नर जनन तंत्र में ये अंग होते हैं:
लिंग: मूत्र विसर्जन और रतिक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लिंग और मूत्रमार्ग दोनों एक ही पेशीय अंग हैं.
वृषण कोष
वृषण (अंडकोष)
एपिडिडिमिस
वास डिफ़रेंस
प्रोस्टेट
शुक्राशय
नर तथा मादा जनन तंत्र में विभिन्न अंतर है

नर जनन तंत्र में वर्षण होता हे एवम वर्षण कोष होता है इसमें शुक्राणु का निर्माण होता है जिसे पेनिस के माध्यम से मादा की योनि में डाला जाता है

मादा जनन तंत्र में अंदाज से अंडा वाहिनी गर्भाशय होते हैं

अंडाशय में अंडे का निर्माण होता है

शुक्राणु अंडाणु मिलकर बच्चों का निर्माण करते हैं

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