BHAGAVAD GITA (Chapter 6) DAY 25

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आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन |
सुखं वा यदि वा दु:खं स योगी परमो मत: || 32||

अर्जुन उवाच |
योऽयं योगस्त्वया प्रोक्त: साम्येन मधुसूदन |
एतस्याहं न पश्यामि चञ्चलत्वात्स्थितिं स्थिराम् || 33||

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