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Скачать или смотреть श्री कृष्णा की अमृतवाणी ||😔 सुबह जागने के बाद और रात सोने से पहले जरूर सुने || @Rrbshanatandharm 📿

  • Rrb Shanatan Bharat
  • 2024-11-30
  • 20
श्री कृष्णा की अमृतवाणी ||😔 सुबह जागने के बाद और रात सोने से पहले जरूर सुने || @Rrbshanatandharm  📿
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श्री कृष्णा की अमृतवाणी ||😔 सुबह जागने के बाद और रात सोने से पहले जरूर सुने || @Rrbshanatandharm 📿
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आज यदि आपके दिन बुरे चल रहे हैं तो कल अवश्य ही अच्छा होगा आप केवल निस्वार्थ भाव से अपना कर्म कीजिए।

जो मार्ग ईश्वर ने आपके लिए खोला है उसे कभी भी कोई बंद नहीं कर सकता है।
मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मों पर आधारित होता है वह जैसा कर्म करता है उसका जीवन वैसा ही हो जाता है।

जीवन में आधे दु:ख इस वजह से आते है, क्यूंकि हमने उनसे आशाऐं बना रखी है जिनसे हमें नहीं बनानी चाहिए थी।

जिस मनुष्य ने अपनी जवानी में बहुत सारे पाप किए हो उसे बुढ़ापे में नींद नहीं आती है।

महाभारत में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए वचन आज भी हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं अगर मनुष्य इन वचनों को आत्मसात कर ले तो उसका जीवन अवश्य ही सफल हो जाएगा आज यहां हम ऐसे ही 15 अनमोल वचनों के बारे में जानेंगे:-

व्यक्ति को उसके कर्म का फल उसी तरह ढूंढ लेता है जैसे की कोई बछड़ा सैकड़ो गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।

आत्मा ना तो जन्म लेती है और ना ही मरती है ना ही इसे जलाया जा सकता है ना ही इसको भिगोया जा सकता है आत्मा अमर और अविनाशी है। 


संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है।

आत्मा शरीर को वैसे ही छोड़ती है जैसे मनुष्य अपने पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है

व्यक्ति का सुख-दुख मान अपमान लाभ हानि का एहसास करना मन की शरारत है आत्मा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

जब यह संसार ही स्थाई नहीं है तब इस संसार की कोई वस्तु कैसे स्थाई हो सकती है।

मैं इस संसार के सभी जीवो में विद्यमान हूं मैं चींटी में भी हूं और हाथी में भी।

संसार के सारे रिश्ते नश्वर हैं और केवल शरीर से जुड़े हुए हैं जैसे ही व्यक्ति की मृत्यु होती है और आत्मा शरीर को छोड़ देती है आत्मा का शरीर से जुड़े रिश्तों से कोई नाता नहीं रहता।

मेरे तुम्हारे हम सबके कई जन्म हो चुके हैं ना तो यह मेरा आखिरी जन्म है और ना ही यह तुम्हारा आखिरी जन्म है।

वर्तमान परिस्थितियों में जो तुम्हारा कर्तव्य है वही तुम्हारा सच्चा धर्म है।

मैं किसी व्यक्ति के भाग्य का निर्माण नहीं करता और ना ही किसी को कर्म फल देता हूं व्यक्ति या जीव के कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करते हैं।

क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है क्रोध के कारण मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है और उस व्यक्ति के पतन में ज्यादा समय नहीं लगता है ।

मनुष्य कर्म करने से कभी छुटकारा नहीं पा सकता इसलिए हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि कर्म के बिना हमारे शरीर का निर्वाह नहीं हो सकता है।

परिवर्तन होना ही इस संसार में स्थाई है इसलिए मनुष्य को परिवर्तन से कभी नहीं घबराना चाहिए।

मनुष्य का अपने मन को नियंत्रित रखना किसी घोड़े के नवजात शिशु को नियंत्रण में रखना जितना कठिन कार्य होता है।
इंद्रियों के वश में होने से मनुष्य के जीवन में केवल विकार और परेशानियां ही आती है।
मनुष्य के जीवन में सुख-दुख का आना-जाना सर्दी और गर्मी के आने जाने के समान है इसलिए हमें इन्हें सहन करना सीखना होगा।
निर्बलता ईश्वर देता है लेकिन मर्यादा मनुष्य का मन स्वयं निर्माण करता है।
जीवन में मनुष्य को अपनी वाणी को संयम में रखना चाहिए क्योंकि वाणी से दिए हुए घाव कभी भी भरे नहीं जा सकते।

मनुष्य अपने जीवन में उनके लिए शोक करता है जो इसके योग्य नहीं है बुद्धिमान व्यक्ति किसी जीवित या मृत के लिए शोक नहीं करता है।
मैं हमेशा तुम्हारे साथ और तुम्हारे आसपास ही रहता हूं चाहे तुम कुछ भी कर रहे हो।
जो हुआ अच्छा हुआ और जो होगा अच्छा ही होगा स्वयं को मुझ पर छोड़ दो केवल अपने कर्म पर ध्यान दो कर्म ऐसा करो जो स्वार्थ रहित और पाप रहित हो।

मनुष्य को जीवन में समय चाहे जैसा भी हो अपने परिवार के साथ रहना चाहिए परिवार पर यदि सुख आता है तो वह बढ़ जाता है और यदि दुख आता है तो वह बट जाता है।
मनुष्य को अपने कर्तव्य के पथ से कभी नहीं हटना चाहिए यह मूर्खता है क्योंकि इससे न तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी।

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की सत्संग अर्थात अच्छे लोगों का साथ ईश्वर की कृपा से मिलता है परंतु कुसंगति में पड़ना मनुष्य के अपने ही हाथों में होता है।

वह मनुष्य जो सभी इच्छाओं को त्याग देता है मैं और मेरा की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त हो जाती है।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं अगर तुम्हें किसी ने दुख दिया है तो इसका बुरा मत मानना क्योंकि लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते हैं जिस पेड़ पर ज्यादा मीठे फल होते हैं।

स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करो वे कभी नहीं बनते और प्रेम से बने रिश्तो को कितना भी तोड़ने की कोशिश करो वे कभी नहीं टूटते।

यदि व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार व्यापार से पहले व्यवहार और भगवान से पहले माता-पिता को पहचान ले तो उसकी जिंदगी में कभी कोई कठिनाई ही नहीं आएगी।

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को अपने मन को बार-बार समझना चाहिए कि ईश्वर के अलावा उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की परिवर्तन ही इस संसार का नियम है कल जो किसी और का था आज वो तुम्हारा है और कल किसी और का होगा।

विषयों का चिंतन करने से उनको याद करने से विषयों की आसक्ति पैदा होती है और आसक्ति से इच्छाएं उत्पन्न होती हैं इच्छा से क्रोध पैदा होता है और क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होते हैं।

जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ है अच्छे के लिए हुआ है और जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।

मेरे लिए ना कोई घृणित है और ना ही कोई प्रिय न कोई निर्धन है न कोई धनी बस जो भक्ति भाव से मुझे याद करता है मैं उनका हूं और वे मेरे हैं।

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