भगवान शिव के पसीने से कैसे जन्म लिया धरतीपुत्र मंगल ग्रह ने || Mangal Grah ka Janm @Om Namah Shivay

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भगवान शिव के अंश हैं मंगल देव
उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा, हे भगवन ! मुझे अंधकासुर से अभय दीजिए। इन्द्र का वचन सुनकर शरणागत वत्सल शिव ने इंद्र को अभय प्रदान किया और अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते-लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के समान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल का जन्म हुआ। इसलिए मंग्रह का स्वभाव क्रूर है। उन्हें गुस्सा शीघ्र ही आ जाता है। 

उज्जैन में हुआ था मंगल देव का जन्म 
अंगारक, रक्ताक्ष और महादेव पुत्र, इन नामों से स्तुति कर ब्राह्मणों ने उन्हें ग्रहों के मध्य प्रतिष्ठित किया, इसके बाद उसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर नामक उत्तम शिवलिंग की स्थापना की। वर्तमान में यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो उज्जैन में स्थित है। मंगल ग्रह की शांति के लिए यहां उनकी पूजा आराधना की जाती है।


Video Name - Om Namah Shivay #Episode-44
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