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Скачать или смотреть Ramayan की अनकही गाथा” उर्मिला ने लिया सबसे बड़ा संकल्प |

  • MomentsAreMindful
  • 2025-06-01
  • 152
Ramayan की अनकही गाथा” उर्मिला ने लिया सबसे बड़ा संकल्प |
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Ramayan की अनकही गाथा” उर्मिला ने लिया सबसे बड़ा संकल्प |

उर्मिला – त्याग की वो मूरत, जो रामायण में छुप गई…”
जब बात रामायण की होती है, तो हमारी आँखों के सामने श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण की तस्वीरें उभर आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी उस स्त्री के बारे में सोचा… जिसने न तो वन देखा, न ही राक्षसों से युद्ध किया… फिर भी, जिसने 14 वर्षों तक तप किया?
वो थी – उर्मिला।
राजा जनक की पुत्री। सीता की छोटी बहन। और लक्ष्मण की अर्धांगिनी।
जिस क्षण लक्ष्मण ने अपने भाई श्रीराम और भाभी सीता के साथ वनवास जाने का निर्णय लिया…
अयोध्या में एक और वियोग की चुप कहानी जन्म ले रही थी।
उर्मिला जानती थीं… 14 साल कोई छोटी अवधि नहीं होती।
वो चाहतीं तो रोक सकती थीं लक्ष्मण को। प्रश्न पूछ सकती थीं।
“क्या मेरा प्रेम इतना तुच्छ था?”
“क्या मेरा साथ तुम्हारे धर्म से छोटा था?”
लेकिन नहीं।
उर्मिला ने कोई प्रश्न नहीं किया।
न कोई प्रतिरोध।
केवल एक वादा लिया… और एक वचन दिया।
उर्मिला बोलीं –
“जाओ स्वामी, अपने धर्म का पालन करो। पर जब तक लौटकर नहीं आओगे, मैं न मुस्कराऊँगी, न रोऊँगी। मैं प्रतीक्षा करूँगी… एक साध्वी की तरह।”
और उन्होंने वो वचन निभाया… पूरे 14 वर्षों तक।
हम सब जानते हैं –
राम विष्णु के अवतार थे। सीता माता लक्ष्मी का रूप।
लक्ष्मण – शेषनाग के अवतार।
लेकिन क्या आप जानते हैं?
उर्मिला – स्वयं नागलक्ष्मी थीं।
त्याग और तप की मूर्ति।
जहाँ लक्ष्मण ने जंगल में राक्षसों से युद्ध किया,
वहीं उर्मिला ने अंधेरे कमरे में, तन्हाई से युद्ध लड़ा।
एक स्त्री जो चाहती तो विलाप कर सकती थी,
गुस्सा दिखा सकती थी… लेकिन उसने चुप्पी ओढ़ ली।
रामायण के हर पात्र का उल्लेख होता है –
भरत, जो राम की खड़ाऊँ को राजगद्दी पर बिठाते हैं।
शत्रुघ्न, जो सेवा और समर्पण की मिसाल हैं।
लेकिन उर्मिला?
उन्हें तो रामायण की पंक्तियों में जगह भी पूरी नहीं मिली।
क्योंकि उन्होंने जो तप किया, वह शब्दों में नहीं आता।
वो तो बस “अनकहा त्याग” था –
जो आँखों से नहीं, हृदय से समझा जाता है।
लक्ष्मण और उर्मिला के दो पुत्र थे –
अंगद और चंद्रकेतु।
लेकिन उर्मिला ने कभी माँ बनकर भी, अपने व्रत को टूटने नहीं दिया।
उर्मिला की कहानी हमें सिखाती है –
त्याग हमेशा जंगल जाकर नहीं होता।
कभी-कभी सबसे बड़ा त्याग उस स्त्री का होता है,
जो बिना शिकायत के, बिना दिखावे के…
अपना सारा जीवन अकेले, प्रेम और प्रतीक्षा में बिता देती है।
उर्मिला, रामायण की वह नायिका हैं
जो दिखती कम हैं…
पर महसूस… सबसे ज़्यादा होती हैं।
“उर्मिला – त्याग की वह लौ, जो जलती रही… बिना धुएँ के, बिना शोर के।”

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