ज्योतिष शास्त्र में, लगभग 200 रत्नों की चर्चा की जाती है, परंतु इनमें से नौ महारत्न और पचासी उपरत्न ही जाने व पहचाने जाते हैं, तथा प्राप्त है ।
नवग्रहों में राहु और केतु दो छाया ग्रह हैं, जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं है, केतु ग्रह का महारत्न लहसुनिया है, अपने इस वीडियो में हम लहसुनिया से होने वाली हानि की चर्चा करेंगे-
लहसुनिया को वैदूर्य ,विद्रालक्ष, तथा कैट्सआई भी कहते हैं ,यह, वृषभ, तुला, मकर ,मिथुन व कुंभ राशि वालों के लिए विशेष लाभकारी महारत्न है, लहसुनिया रत्न धारण करने में कुछ सावधानियां करनी चाहिए-
चमक हीन लहसुनिया धारण करने से, धन का नाश होता है, छिद्र वाला गड्ढा युक्त तथा खंडित लहसुनिया धारण करने से, शत्रुओं की वृद्धि होती है ।
अगर लहसुनिया धारण करने के बाद उसमें सफेद छींटे दिखाई दे तो, मृत्यु तुल्य कष्ट होता है ,अगर लहसुनिया में जाल बन जाए तो, पत्नी को कष्ट होता है,शहद के समान छींटे दिखाई दे तो, व्यापार में हानि तथा धन हानि होती है।
अगर कुंडली में केतु की स्थिति केंद्र या त्रिकोण में हो अर्थात केतु 1,2,4,5,7, 9 ,10 ,भाव में हो तो, लहसुनिया धारण कर सकते हैं ।
लहसुनिया रत्न को चांदी में धारण करना ज्यादा उपयुक्त होता है ।
लहसुनिया भी महारत्न है और अपना प्रभाव 24 घंटे से लेकर 72 घंटे में दिखाने लगता है, यह धारण करने के कुछ समय बाद, कुत्ता काट ले,कुत्ता दौड़ाने लगे ,चक्कर आने लगे, या कोई अकारण गाली दे, या नजर लग जाए या पत्नी पर कोई समस्या आ जाए ,तो समझ ले कि लहसुनिया नुकसान कर गया है ,ऐसी स्थिति में लहसुनिया उतारकर 24 घंटे के लिए फटे दूध या दही में भिगोकर छोड़ दें और फिर लहसुनिया धारण न करें ।
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