Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप

  • Xpose News
  • 2017-07-22
  • 4529
उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप
  • ok logo

Скачать उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप

उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप

जब पांडव भाई वेदव्यास जी के आश्रम गए और अपनी सारी तकलीफों को वेदव्यास जी से बताया, तब युधिष्ठिर ने वेदव्यासजी से प्रार्थना करते हुए अपना राज्य पुनः पाने का कोई उपाय बताने को कहा.

वेद व्यास जी ने युधिष्ठिर से कहा कि अगर आप पुनः अपना राज्य प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसके लिए दिव्य अस्त्रों की आवश्यकता होगी.

क्योंकि कौरवों के पास द्रोणाचार्य, भीष्म और कृपाचार्य जैसे महारथी हैं. इसलिए बिना दिव्यास्त्र प्राप्त किए आप उनका कुछ भी नहीं कर सकते. तब युधिष्ठिर ने वेदव्यास जी से पूछा कि हम ये दिव्य अस्त्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

इस पर वेद व्यास जी ने कहा आप सभी भाइयों में सिर्फ अर्जुन हीं एक ऐसे हैं, जो देवताओं को प्रसन्न कर दिव्य अस्त्र प्राप्त कर सकते हैं.

इसलिए अर्जुन को कड़ी तपस्या करनी होगी, जिससे देवता प्रसन्न हो और अर्जुन को दिव्यास्त्र दे.

वेदव्यास जी के द्वारा बताई राह पर चलते हुए अर्जुन तपस्या के लिए चल दिए.

उत्तराखंड के पर्वतों से होते हुए एक बेहद खूबसूरत वन में जा पहुंचे. वहीं शांत वातावरण में बैठकर शिवजी की तपस्या करने लगे. शिवजी अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भील का वेश धारण कर वहां पहुंचे. वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा की एक दैत्य शूकर का रूप धारण कर अर्जुन के धात में है. तब भीलरूपी शिव जी ने, उस शूकर पर अपना बाण छोड़ा. उसी समय अर्जुन की तपस्या भी टूट गई और उसी शूकर पर उनकी दृष्टि परी. तभी अर्जुन ने भी अपना गांडीव धनुष उस पर छोड़ दिया.

शूकर को दोनों बाण एक साथ लगे और उसकी मृत्यु हो गई.

शुकर के मर जाने पर भीलरूपी शिवजी और अर्जुन में बहस छिड़ गई कि उसे किसने मारा. दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया और युद्ध का रुप ले लिया. अर्जुन लगातार भील रुपी शिव पर बाण चला रहे थे, लेकिन उनके सारे बाण भील के शरीर को छूकर टूटकर गिर जाते थे. भील खड़ा-खड़ा मुस्कुरा रहा था. अंत में अर्जुन के सारे बाण खत्म हो गए. इस पर अर्जुन ने अपनी तलवार निकालकर भील पर आक्रमण किया. लेकिन वो तलवार भी टूट कर चूर-चूर हो गए. अब अर्जुन को क्रोध आ गया और भील को मल्ल युद्ध के लिए कहा. मल्लयुद्ध में भी अर्जुन परास्त हो गए और मूर्छित हो कर गिर गए.

देवताओं ने दिए अर्जुन को दिव्यास्त्र

कुछ समय बाद जब अर्जुन की मू्र्छा टूटी, तब उन्होंने देखा की भील अभी भी उनके सामने खड़ा है और मुस्कुरा रहा है. भील की शक्ति को देखते हुए अर्जुन बहुत आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने भील को मारने की शक्ति प्राप्त करने के लिए शिव जी की मूर्ति पर पुष्प की माला डाली. लेकिन तभी वो माला शिव की मूर्ति पर पड़ने के बदले भील के गले में चली गई. इससे अर्जुन को समझ में आ गया कि वो भील स्वयं भगवान शंकर हैं. अर्जुन शिव जी के चरणों में गिर गए और भगवान शंकर अपने असली रुप में आ गए. अर्जुन से कहा कि हे अर्जुन मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं और तुम्हें पशुपत्यास्त्र देता हूं. ये कहकर शिवजी अंतर्ध्यान हो गए.

इसके बाद यम, कुबेर, वरुण, गंधर्व और इंद्र अपने वाहनों पर सवार हो अर्जुन के पास पहुंचे.

अर्जुन ने सभी देवताओं को प्रणाम किये. तभी यमराज ने अर्जुन से कहा कि हे अर्जुन तुम नर के अवतार हो और श्रीकृष्ण नारायण के अवतार. अतः तुम दोनों मिलकर इस प्रथ्वी का भार हल्का करोगे. सभी देवताओं ने अर्जुन को अलग-अलग तरह के दिव्य और अलौकिक अस्त्र – शस्त्र प्रदान किए.

अर्जुन स्वर्ग पहुंचे

जब देवराज इंद्र अर्जुन के पास से जाने लगे तो उन्होंने अर्जुन से कहा ‘हे अर्जुन अभी तुम्हें सभी देवताओं के कई कार्यो को संपन्न करने हैं, इसलिए तुम्हें लेने मेरा सारथी आएगा.’ अतः इसके कुछ समय बाद इंद्र के सारथी मातली वहां पहुंचे. अर्जुन को विमान में बिठाकर देवराज इंद्र के नगर अमरावती लेकर गए.

अमरावती में रहते हुए इंद्र ने देवताओं से मिले सारे दिव्यास्त्रों के प्रयोग की विधि को सीख महारत हासिल कर ली. फिर एक दिन इंद्र ने अर्जुन से कहा कि वह तुम चित्रसेन नामक गंधर्व से नृत्य और संगीत की कला सीखो. इंद्र के आदेश पर चित्रसेन ने अर्जुन को नृत्य और संगीत में भी निपुण कर दिया.

उर्वशी ने अर्जुन को दिया श्राप

एक दिन की बात है जब अर्जुन चित्रसेन के पास नृत्य और संगीत सीख रहे थे, तभी वहां इंद्र की अप्सरा उर्वशी पहुंची. अर्जुन को देख मोहित हो गई. अवसर मिलते हीं उर्वशी ने अर्जुन से बोला कि हे अर्जुन आपको देखकर मेरी काम-वासना जाग गई है. अतः कृप्या कर मेरे साथ विहार करें और मेरी काम-वासना को शांत कीजिए. इस पर अर्जुन ने कहा कि ‘हे देवी आप हमारी माता समान हैं. हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह कर हमारे वंश का गौरव बढ़ाया है. आप पुरु वंश की जननी हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.’ अर्जुन की बात सुन उर्वशी के मन में बड़ा क्षोभ हुआ और गुस्से में आकर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया – श्राप देते हुए कहा कि ‘तुमने नपुंसकों जैसी बात की है. अतः तुम्हें मैं श्राप देती हूं कि तुम एक वर्ष के लिए पुंसत्वहीन रहोगे और फिर उर्वशी वहां से चली गई.

जब देवराज इंद्र को अर्जुन के नपुंसक होने का श्राप का पता चला तो उन्होंने अर्जुन से कहा कि ‘वत्स तुमने जैसा व्यवहार किया, वो तुम्हारे योग्य था. उर्वशी का श्राप भी भगवान की इच्छा थी. यह सब तुम्हें अज्ञातवास के दौरान काम देगा.’ अपने एक वर्ष के अज्ञातवास के दिनों में तुम पुंसत्वहीन हीं रहोगे और अज्ञातवास पूरा होने पर तुम्हें दोबारा से पुंसत्व प्राप्त हो जाएगी.’

उर्वशी के नपुंसक होने का श्राप के कारण अर्जुन एक वर्ष तक नपुसक बने रहे थे और नपुंसक होने का श्राप की वजह से इसी रूप में अर्जुन ने विराट नगर के राजा, विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य सिखाया था.

इस अज्ञातवास के बाद अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से उत्तरा का विवाह हुआ था.

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]