कॉलोनल रूटस्टॉक को कैसे मल्टीप्लाई करें

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रूटस्टॉक है क्या ?
रूटस्टॉक जड़ों के सिस्टम और सेब के अधिकांश पौधों के निचले ट्रंक का एक छोटा सा हिस्सा है, जिस पर आनुवांशिक रूप से अलग गुणों वाले फल देने वाले भाग को ग्राफ्टिंग या कलम के द्वारा पौधा तैयार किया जाता है। कभी कभी आनुवांशिक रूप से अलग एक तीसरे भाग को भी रूटस्टॉक एवं फल देने वाले भाग के बीच में ग्राफ्टिंग किया जाता है जिसे "इंटरस्टेम" (INTERSTEM) कहा जाता है।

रूटस्टॉक का इस्तेमाल क्यों ?
अब प्रश्न ये उठता है कि रूटस्टॉक के इस्तेमाल कि जरूरत क्या है जबकि उसके ऊपर कलम किसी अन्य मुख्य किस्म कि करनी पड़ती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्यूंकि सेब कि मुख्य किस्म के पौधे को उगाना (Propagate) या मल्टीप्लाई करना बहुत कठिन कार्य है जबकि रूटस्टॉक या पाल्टी को आसानी से उगाया जा सकता है और उसको मल्टीप्लाई करने में भी ज्यादा मुश्किल नही आती ।

रूटस्टॉक दो प्रकार के होते हें बीजू या सीडलिंग और क्लोनल । सीडलिंग रूटस्टॉक बीज से तैयार किया जाता है जिससे कि ये गुंजाइश रहती है कि उत्पादित रूटस्टॉक जिनैटिक (Genetic) रूप से अलग गुणों वाला हो और ये अलग गुण कलम करने के बाद मुख्य किस्म के गुणों को भी प्रभावित कर सकते हैं । दूसरी ओर क्लोनल रूटस्टॉक वेजीटेटिव रूप से उत्पादित किए जाते हैं जिससे कि उत्पादित रूटस्टॉक में मदर रूट स्टॉक के सभी गुण होते हैं और इन रूटस्टॉक पर तैयार क़िस्मों के फलों में भी एक समान गुण और कवालिटी मिल जाती है ।

क्लोनल रूटस्टॉक मुख्य प्रचलित किस्में

एम 27 (M 27):
सबसे बौनी श्रेणी का रूट स्टॉक । अधिकतम ऊंचाई लगभग 5-6 फीट । गमलों में प्रयोग करने के लिए उपयुक्त्त
इस रूट स्टॉक पर तैयार पौधे को सहारे की आवशयकता रहती है ।

एम 9 (M9) :
विश्व में सबसे अधिक प्रचलित और उत्पादन देने वाला रूटस्टॉक। इस रूट स्टॉक पर तैयार पौधे की अधिकतम ऊंचाई 12-13 फुट होती है । यह रूट स्टॉक उच्च घनत्व (हाई डेंसिटी) बागवानी के लिए सबसे उपयुक्त रूट स्टॉक है । उपजाऊ और अच्छी जल निकासी (drainage) वाली भूमि में यह रूट स्टॉक बढ़िया पैदावार के लिए जाना जाता है । यह रूट स्टॉक सेब की Phytophthora बीमारी प्रति अवरोधक है। इस रूटस्टॉक पर गाला, फूजी एवं रेड डिलीशियस की सेमी विगरस किस्मे तैयार की जा सकती है । एम 9 रूट स्टॉक पर तैयार पौधे को को हमेशा की सहारे की जरूरत रहती है ।



एम 26 (M26):

यह रूट स्टॉक एम 9 की अपेक्षा थोड़ा बड़ा होता है । आकार की दृष्टि से यह सीडलिंग का लगभग 40-45% होता है । इस रूट स्टॉक पर सेब की किस्म के हिसाब से ड्वार्फ (बौना) या सेमी ड्वार्फ (अर्धबौना) पौधा तैयार किया जा सकता है । इस रूट स्टॉक पर तैयार पौधे को शुरू के कुछ सालों में सहारा देने की आवश्यकता रहती है लेकिन फिर यह रूट स्टॉक बिना सहारे के खड़ा रह सकता है। इसे ज्यादा नमी वाली जमीन में नही लगाने की सलाह दी जाती है क्यूंकि यह किस्म "कॉलर रौट " बीमारी के प्रति संवेदनशील है।


साइज़ के अनुसार रूट स्टॉक की किस्में
एम 106 (M106):
यह रूट स्टॉक एम 26 की अपेक्षा थोड़ा बड़ा होता है । आकार की दृष्टि से यह सीडलिंग का लगभग 60-65% होता है । इस रूट स्टॉक पर सेमी ड्वार्फ (अर्धबौना) पौधा तैयार किया जा सकता है । इस रूट स्टॉक पर तैयार पौधे को सहारा देने की आवश्यकता नही रहती है इसे ज्यादा नमी वाली जमीन में नही लगाने की सलाह दी जाती है क्यूंकि यह किस्म "कॉलर रौट " बीमारी के प्रति संवेदनशील है। :



एम 111 (M111):

यह रूट स्टॉक एम 106 की अपेक्षा थोड़ा बड़ा होता है । आकार की दृष्टि से यह सीडलिंग का लगभग 80-85% होता है । यह रूट स्टॉक सेब की रेड डिलीशियस किस्म के किए और हर प्रकार की मिट्टी के लिए उपयुक्त है।इस रूट स्टॉक पर तैयार पौधे को सहारा देने की आवश्यकता नही रहती है । यह रूट स्टॉक सेब की Phytophthora बीमारी प्रति अवरोधक है।

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