दस माहविद्याओं का रहस्य ! दस महाविद्या क्या है ? इनकी साधना से कौन सी सिद्धियाँ प्राप्त होती है ?

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दस माहविद्याओं का रहस्य ! दस महाविद्या क्या है ? इनकी साधना से कौन सी सिद्धियाँ प्राप्त होती है ? 10 Mahavidya Sadhna ! दस महाविद्या कौन है ? दस महाविद्याओं की साधना उपासना ! The name, "Mahavidyas", comes from the Sanskrit roots of Maha, which means great and Vidya, meaning, Wisdom, Knowledge, Manifestation or Revelation. The 10 Mahavidyas or the Ten Goddesses are actually ten aspects of the Devi or the Divine Mother in Hinduism. These are Goddesses of Wisdom and represent an entire spectrum of divinity, right from horrific goddesses, to the most beautiful and peaceful deities.
दशमहाविद्या अर्थात महान विद्या रूपी देवी। महाविद्या, देवी दुर्गा के दस रूप हैं, जो अधिकांश तान्त्रिक साधकों द्वारा पूजे जाते हैं, परन्तु साधारण भक्तों को भी अचूक सिद्धि प्रदान करने वाली है। इन्हें दस महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है। ये दसों महाविद्याएं आदि शक्ति माता पार्वती की ही रूप मानी जाती हैं। दस महाविद्या विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठातृ शक्तियां हैं। भगवती काली और तारा देवी- उत्तर दिशा की, श्री विद्या (षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी)- ईशान दिशा की, देवी भुवनेश्वरी, पश्चिम दिशा की, श्री त्रिपुर भैरवी, दक्षिण दिशा की, माता छिन्नमस्ता, पूर्व दिशा की, भगवती धूमावती पूर्व दिशा की, माता बगला (बगलामुखी), दक्षिण दिशा की, भगवती मातंगी वायव्य दिशा की तथा माता श्री कमला र्नैत्य दिशा की अधिष्ठातृ है।

कहीं-कहीं 24 विद्याओं का वर्णन भी आता है। लेकिन विश्व के प्राचीन आगम तंत्र (चीनानाचार) के अनुसार दशमहाविद्या की साधना का उल्लेख है परंतु मूलतः दस महाविद्या ही प्रचलन में है। इनके दो कुल हैं। इनकी साधना 2 कुलों के रूप में की जाती है। श्री कुल और काली कुल। इन दोनों में नौ- नौ देवियों का वर्णन है। इस प्रकार ये 18 हो जाती है। कुछ ऋषियों ने इन्हें तीन रूपों में माना है। उग्र, सौम्य और सौम्य-उग्र। उग्र में काली, छिन्नमस्ता, धूमावती और बगलामुखी है। सौम्य में त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी और महालक्ष्मी (कमला) है। तारा तथा भैरवी को उग्र तथा सौम्य दोनों माना गया हैं देवी के वैसे तो अनंत रूप है पर इनमें भी तारा, काली और षोडशी के रूपों की पूजा, भेद रूप में प्रसिद्ध हैं। भगवती के इस संसार में आने के और रूप धारण करने के कारणों की चर्चा मुख्यतः जगत कल्याण, साधक के कार्य, उपासना की सफलता तथा दानवों का नाश करने के लिए हुई। सर्वरूपमयी देवी सर्वभ् देवीमयम् जगत। अतोऽहम् विश्वरूपा त्वाम् नमामि परमेश्वरी।।
शाक्त भक्तों के अनुसार "दस रूपों में समाहित एक सत्य की व्याख्या है - महाविद्या" जिससे जगदम्बा के दस लौकिक व्यक्तित्वों की व्याख्या होती है। महाविद्याएँ तान्त्रिक प्रकृति की मानी जाती हैं जो निम्न हैं-
0:00:00:00 Welcome and introduction
0:01:32:20 देवी काली
0:02:36:41 देवी तारा
0:03:56:60 देवी त्रिपुर सुंदरी
0:05:22:09 देवी भुवनेश्वरी
0:07:01:17 देवी त्रिपुर भैरवी
0:08:25:02 देवी छिन्नमस्ता
0:09:45:02 देवी धूमावती
0:11:08:52 देवी बगलामुखी
0:12:20:02 देवी मातंगी
0:13:13:38 देवी कमला



शाक्त दर्शन, दस महाविद्याओं को भगवान विष्णु के दस अवतारों से सम्बद्ध करता है और यह व्याख्या करता है कि महाविद्याएँ वे स्रोत हैं जिनसे भगवान विष्णु के दस अवतार उत्पन्न हुए थे। महाविद्याओं के ये दसों रूप चाहे वे भयानक हों अथवा सौम्य, जगज्जननी के रूप में पूजे जाते हैं।

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तंत्र-साधना में 10 महाविद्या कौन-कौन सी हैं
काली मंत्र: ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।
तारा मंत्र: ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।
छिन्नमस्तिका मंत्र: श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा।।
षोडशी मंत्र: ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क ए ह ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं महाज्ञानमयी विद्या षोडशी मॉं सदा अवतु।।
भुवनेश्वरी मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं।
त्रिपुर भैरवी मंत्र: हस्त्रौं हस्क्लरीं हस्त्रौं।
धूमावती मंत्र: धूं धूं धूमावती ठः ठः।।
बगलामुखी मंत्र: ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम् वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय जिह्वा कीलय-कीलय बुद्धि विनाशाय-विनाशाय ह्रीं ऊँ स्वाहा।।
मातंगी मंत्र: ऊँ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।
कमला मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः जगत्प्रसूत्यै नमः।


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