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Скачать или смотреть धृतराष्ट्र ने पिछले जन्म में किये थे ये पाप,इसलये अगले जन्म में अंधा पैदा हुआ था

  • life of anjali
  • 2019-11-30
  • 45011
धृतराष्ट्र ने पिछले जन्म में किये थे ये पाप,इसलये अगले जन्म में अंधा पैदा हुआ था
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Описание к видео धृतराष्ट्र ने पिछले जन्म में किये थे ये पाप,इसलये अगले जन्म में अंधा पैदा हुआ था

#dhritrastraimmahabharata #dhritrastrasons #hindumythology

Music-"Swimmey Texture" Kevin MacLeod (incompetech.com)
Licensed under Creative Commons: By Attribution 4.0 License
http://creativecommons.org/licenses/b...
महाभारत में धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे। आइये जानते है इसके पीछे की कथा के बारे में।महाराज शांतनु और महारानी सत्यवती के दो पुत्र थे विचित्रवीर्य और चित्रागंद। इसमें चित्रांगद अल्पआयु में ही एक युद्ध में मारे गए थे और विचित्रवीर्य काशी की राजकुमारी अंबिका और अंबालिका से विवाह करने के कुछ समय बाद ही बीमारी से पीड़ित होने के चलते मृत्यु को प्राप्त हुए। चूंकि विचित्रवीर्य की मृत्यु हो गई और अंबिका और अंबालिका अभी संतानहीन थीं तो ऐसे में वंश बढ़ने का संकट महारानी सत्यवती को परेशान किए जा रहा था। तब उन्होंने महर्षि वेदव्यास से इस समस्या का निराकरण करने के लिए कहा। इसके बाद वेदव्यास ने अंबिका और अंबालिका से संतानें उत्पन्न कीं। 

कथा मिलती है कि जब वेदव्यास जी के तेज से अंबिका ने अपने नेत्र बंद कर लिए तोवेदव्यास ने महारानी सत्यवती को बताया कि अंबा से उत्पन्न होने वाला पुत्र धृतराष्ट अंधा होगा। इसके बाद जब वह अंबालिका के पास गए तो वह भय से पीली पड़ गई। इसपर वेदव्यास जी ने महारानी सत्यवती को बताया कि अंबालिका से होने वाली संतान पाण्डु रोग से ग्रसित होगी। तब महारानी को अत्यंत दु:ख हुआ। उन्होंने अंबिका को पुन: पुत्र प्राप्ति के लिए वेदव्यास जी के पास जाने को कहा। लेकिन अंबिका महर्षि के तेज से काफी भयभीत थीं। उन्होंने अपनी जगह अपनी दासी को भेज दिया। उसी दासी के गर्भ से वेद-वेदांग में पारंगत महात्मा विदुर का जन्म हुआ।

लेकिन धृतराष्ट्र के अंधेपन का एक और कारण है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। यह कारण था उन्हें मिला शाप। तो आइए जानते हैं कि वह कौन सा शाप था जिसके चलते धृतराष्ट्र जन्मांध थे? 


कथा मिलती है कि धृतराष्ट्र अपने पूर्व जन्म में बहुत ही पापी राजा थे। वह किसी की भी भावनाओं का ख्याल नहीं रखते थे। महज अपनी प्रसन्नता के लिए वह किसी को भी परेशानी में डाल देते थे। ऐसी ही कथा मिलती है कि एक बार एक हंस का जोड़ा अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा था। तभी राजा धृतराष्ट्र ने आदेश दिया कि उस हंस की आंख फोड़ दी जाए। उनके आदेश के चलते ऐसा ही किया गया। इसके बाद अगले जन्म में धृतराष्ट्र जन्मांध (यानी कि जन्म

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