Cheto Mere Pyare
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Lyrics to the full path -
चेतो मेरे प्यारे, तेरे भले की कहूँ ॥1॥
गुरु तो पूरा ढूंढ, तेरे भले की कहूँ ॥2॥
शब्द रता गुरु देख, तेरे भले की कहूँ॥3॥
तिस गुरु सेवा धार, तेरे भले की कहूँ ॥4॥
गुरु चरनामृत पी, तेरे भले की कहूँ ॥5॥
गुरु परशादी खाव, तेरे भले की कहूँ ॥6॥
गुरु आरती कर ले, तेरे भले की कहूँ ॥7॥
तन मन भेंट चढ़ाव, तेरे भले की कहूँ ॥8॥
बचन गुरू के मान, तेरे भले की कहूँ ॥9॥
गुरु को कर परसन्न, तेरे भले की कहूँ ॥10॥
नित्त भजन कर नेम, तेरे भले की कहूँ ॥11॥
जीव दया तू पाल तेरे भले की कहूँ ॥12॥
दुक्ख न दे तू काय, तेरे भले की कहूँ ॥13॥
बचन तान मत मार, तेरे भले की कहूँ ॥14॥
कड़वा तू मत बोल, तेरे भले की कहूँ ॥15॥
सबको सुख पहुँचाव, तेरे भले की कहूँ ॥16॥
नाम अमी रस पीव, तेरे भले की कहूँ ॥17॥
सील छिमा चित राख, तेरे भले की कहूँ ॥18॥
संतोष बिबेक बिचर, तेरे भले की कहूँ ॥19॥
काम क्रोध को त्याग, तेरे भले की कहूँ ॥20॥
लोभ मोह को टार, तेरे भले की कहूँ ॥21॥
दीन गरीबी धार, तेरे भले की कहूँ ॥22॥
संतो से कर प्रीति, तेरे भले की कहूँ ॥23॥
भोजन बहुत न खाव, तेरे भले की कहूँ ॥24॥
सत्संग में तू जाग, तेरे भले की कहूँ ॥25॥
मान बड़ाई छोड़, तेरे भले की कहूँ ॥26॥
भोग बासना जार', तेरे भले की कहूँ ॥27॥
सम दम हिरदे धार तेरे भले की कहूँ ॥28॥
बैराग भक्ति ना छोड़, तेरे भले की कहूँ ॥29॥
गुरु स्वरूप धर ध्यान, तेरे भले की कहूँ ॥30॥
गुरु ही का जप नाम, तेरे भले की कहूँ ॥31॥
गुरु अस्तुति कर नित्त, तेरे भले की कहूँ ॥32॥
गुरु से प्रेम बढ़ाव, तेरे भले की कहूँ ॥33॥
तीरथ मूरत भर्म, तेरे भले की कहूँ ॥34॥
जात अभिमान बिसार, तेरे भले की कहूँ ॥35॥
पिछलों की तज टेक, तेरे भले की कहूँ ॥36॥
वक्त गुरु को मान, तेरे भले की कहूँ ॥37॥
तीरथ गुरु के चरन, तेरे भले की कहूँ ॥38॥
गुरु की सेवा बर्त, तेरे भले की कहूँ ॥39॥
विद्या गुरु उपदेश, तेरे भले की कहूँ ॥40॥
और विद्या पाखंड, तेरे भले की कहूँ ॥41॥
लीक पुरानी छोड़, तेरे भले की कहूँ ॥42॥
जो गुरु कहें सो मान, तेरे भले की कहूँ ॥43॥
मारग ज्ञान न धार, तेरे भले की कहूँ ॥44॥
भक्ती पंथ सम्हार, तेरे भले की कहूँ ॥45॥
सुरत शब्द मत ले, तेरे भले की कहूँ ॥46॥
सुरत चढ़ा नभ माहीं, तेरे भले की कहूँ ॥47॥
गगन तिरकुटी जाव, तेरे भले की कहूँ ॥48॥
दसवें द्वार समाव, तेरे भले की कहूँ ॥49॥
भंवरगुफा चढ़ आव, तेरे भले की कहूँ ॥50॥
सत्तलोक धस जाव, तेरे भले की कहूँ ॥51॥
अलख अगम को पाव, तेरे भले की कहूँ ॥52॥
राधास्वामी नाम धियाव, तेरे भले की कहूँ ॥53॥
भटक अटक सब तोड़, तेरे भले की कहूँ ॥54॥
टेक पक्ष गुरु बाँध, तेरे भले की कहूँ ॥55॥
सार बचन ' नज़्म '
पृष्ठ - 340
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