मीन लग्न की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव
मीन लग्न (Pisces Ascendant) में ग्रहों का फल और स्वभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि हर ग्रह का स्वामित्व और शुभ-अशुभता बदल जाती है। नीचे प्रमुख ग्रहों के प्रभाव का सारांश दिया गया है:
1. बृहस्पति (गुरु) – लग्नेश और दशमेश
बृहस्पति मीन लग्न में पहले (लग्न) और दशम (कर्म) भाव के स्वामी होते हैं।
यह अत्यंत शुभ और योगकारक ग्रह माने जाते हैं।
बृहस्पति यदि शुभ भावों (1, 2, 4, 5, 7, 9, 10) में हो तो अत्यंत शुभ फल देते हैं; लेकिन 3, 6, 8, 11 (नीच राशि) या 12वें भाव में हो तो अशुभता दे सकते हैं।
बृहस्पति का रत्न पुखराज मीन लग्न वालों के लिए शुभ होता है।
2. चंद्रमा – पंचमेश
चंद्रमा मीन लग्न के लिए सबसे अधिक लाभकारी ग्रह है।
यह पंचम भाव (संतान, विद्या, बुद्धि) का स्वामी है।
मजबूत चंद्रमा संतान सुख, विद्या, प्रेम-संबंध, रचनात्मकता और मानसिक शांति देता है।
3. मंगल – द्वितीयेश और नवमेश
मंगल दूसरे (धन) और नवम (भाग्य) भाव का स्वामी है।
यह भी शुभ ग्रह है और अच्छा स्थान मिलने पर धन, भाग्य, साहस और पारिवारिक सुख देता है।
4. बुध – सप्तमेश और चतुर्थेश
बुध चौथे (मां, संपत्ति) और सातवें (विवाह, साझेदारी) भाव का स्वामी है।
बुध मीन लग्न के लिए तटस्थ ग्रह है, लेकिन सप्तमेश होने के कारण बाधक भी माना जाता है।
बुध अगर शुभ भाव में हो तो अच्छा फल, अशुभ भाव में हो तो विवाह, साझेदारी या संपत्ति में समस्या दे सकता है।
5. शुक्र – तृतीयेश और अष्टमेश
शुक्र तीसरे (पराक्रम) और आठवें (आयु, गुप्त धन) भाव का स्वामी है।
मीन लग्न के लिए शुक्र सबसे अधिक नकारात्मक/मारक ग्रह है।
शुक्र की दशा में कष्ट, रोग, धन हानि, विवाद आदि हो सकते हैं।
6. सूर्य – षष्ठेश
सूर्य छठे भाव (रोग, ऋण, शत्रु) का स्वामी है।
सूर्य की दशा में रोग, शत्रु, कोर्ट-कचहरी, विवाद आदि के योग बनते हैं।
7. शनि – एकादशेश और द्वादशेश
शनि ग्यारहवें (लाभ) और बारहवें (व्यय) भाव का स्वामी है।
शनि का फल उसकी स्थिति पर निर्भर करता है; शुभ भाव में हो तो आय, लाभ, विदेश यात्रा; अशुभ भाव में हो तो व्यय, हानि, मानसिक तनाव दे सकता है।
8. राहु और केतु
राहु-केतु की कोई राशि नहीं होती, ये जिस भाव में बैठते हैं, उसके अनुसार फल देते हैं।
शुभ भाव में हो तो लाभ, अशुभ भाव में हो तो भ्रम, विवाद, अचानक हानि आदि दे सकते हैं
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