Mahasu Devta temple Hanol || Best place of Uttarakhand || Story ||

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महासू देवता मंदिर देहरादून से लगभग 190 किमी , मसूरी से 156 किमी और शिमला से लगभग 140 किमी दूर , चकराता के पास 
हनोल गांव में टोंस नदी (तमस) के पूर्वी तट पर स्थित है

स्थानीय भाषा में महासू शब्द 'महाशिव' का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं।

जनजाती क्षेत्र जौनसार-बावर के ग्राम हनोल स्थित तमसा (टौंस) नदी किनारे श्री महासू देवता का मंदिर वास्तुकला के नागर शैली में बना है। पौराणिक कथा के अनुसार किरमिक नामक राक्षस के आंतक से क्षेत्रवासीयो को छुटकारा दिलाने के लिए हुणाभाट नामक ब्राहामण ने भगवान शिव और शक्ति की पूजा/तपस्या की। भगवान शिव और शक्ति के प्रसन्न होने पर मैद्रथ-हूनोल में में चार भाई महासू की उत्पत्ति हुई हुई और महासू देवता ने किरमिक राक्षस का वध कर क्षेत्रीय जनता को इस राक्षस के आंतक से मुक्ति दिलाई, तभी से लोगो ने महासू देवता को अपना कुल आराध्य देव माना और पूजा अर्चना शुरू की बोठा महासू, बाशिक, पवासी एवं चालदा चार महासू भाई है। बोठा महासू देवता का मुख्य मंदिर हनोल में है, बोठा महासू को न्याय का देवता कहा जाता है उनका निर्णय स्थानीय लोगो में सर्वमान्य होता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसा महासू मंदिर हनोल में 9वीं से 10वीं शताब्दी का बताया गया है।


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