9/24 | रामायण: सीता की करुण कहानी | Indian_Civilization | Ramayana - The sad story of Sita

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ऋषि वाल्मीकि क्रोंच पक्षियों के एक जोड़े को प्रेम में आनन्दित देखकर प्रसन्न होते हैं। लेकिन, अचानक एक तीर नर क्रौंच को लगता है और उसकी तुरंत मृत्यु हो जाती है। शिकारी को देखकर वाल्मीकि उसे श्राप दे देते हैं। लेकिन तुरंत ही वाल्मीकि को पश्चाताप होता है । मन के तीव्र आवेग समाधि ला सकते है।
समाधि से उठकर उन्होंने महाकाव्य रामायण की रचना की। रामायण सीता की करुणामयी कहानी है। सीता मानव सभ्यता का चरम शिखर हैं। रामायण भारतीय मन और सत्य की कहानी है। महाकाव्य रामायण को भारत में हजारों पीढ़ियों ने गाया है।
भारतीय सभ्यता विवाह की संस्था पर आधारित है। भारतीय वैवाहिक जीवन की जड़ें धर्म और सत्य में गहरी उतरी हैं। और इसका कारण योग है। यह एक संस्कार है, एक आध्यात्मिक संस्कृति है। आत्म-विकास की संस्कृति!
सभी प्राचीन सभ्यताओं में महिलाओं के कई अधिकार थे। उन्हें सिंहासन पर बैठाया जाता था और दरबार में समान अधिकार थे ।
सत्य का पालन करने वाले राजाओं के राज्यों में, असामयिक मृत्यु, अकाल या प्राकृतिक आपदाएँ दुर्लभ थीं। इसलिए, भारतीय हमेशा राम राज्य का सपना देखते हैं। युद्ध के बिना धर्म की रक्षा नहीं हो सकती। योग और युद्ध को अलग नहीं किया जा सकता। राम सत्य और शस्त्र के बिना अधूरे हैं।

अगला अध्याय ---
अध्याय १०, धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र, बाहरी व आन्तरिक
   • धर्मक्षेत्र कृष्ण और बुद्ध की संस्कृत...  
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संक्षिप्त विवरण ---
वृत्तचित्रों की शृंखला : भारतीय सभ्यता : सातत्य और परिवर्तन

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इस वृत्तचित्र का उदेश्य भारत के ज्ञान - विज्ञान, कलाओं और जीवन के वैज्ञानिक व आध्यात्मिक महत्व को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करना है। महारास की भारतीय संस्कृति की यह भव्य प्रस्तुति केवल मंत्रमुग्ध नहीं करती । भविष्य के लिए नई दृष्टि देती है। भारतीयों की प्रकृति श्रद्धा, मानव और पृथ्वी दोनों को उपभोक्तावाद से बचा सकती है। प्रकृति की विविधता और उसकी आन्तरिक एकता, मानव की भी वास्तविकता है। विविधता का उत्सव मनाती महारास की भारतीय संस्कृति हज़ारों वषों तक जीवन को सत्य,समृद्धि और सौन्दर्य से तृप्त करती रही है। यह फिल्म श्रृंखला इसे भारतीय दर्शन, प्राचीन स्थापत्य व लोक कलाओं से दर्शाती है।
पश्चिम के आक्रमणकारी भारत की देव विविधता और कलाओं के प्रति घृणा से भरे हुए थे। उनके आक्रमण युद्घ नहीं थे क्रूर हत्याकांड थे। उन्होंने विश्वविद्यालयों को जलाकर भारत के ज्ञान - विज्ञान की निरन्तरता को अवरुद्ध कर दिया।
भारत का मध्यकालीन विनाश और उपनिवेशिक शोषण मानवता की बहुत बड़ी हानि है। भारतीयों के स्वस्थ जीवन का आधार उनकी समग्र दृष्टी रही है।
अखण्ड दृष्टि का पुननिर्माण कठिन है। लेकिन अपनी सभ्यता के पुननिर्माण की अदम्य इच्छा भारतीयों के मन में आज भी है। भारतीय आज भी प्राचीन सभ्यता के उच्च स्वरुप को बनाए रखना चाहते हैं। इस फिल्म का निर्माण उसी इच्छा का परिणाम है।

विशेष :
१० वर्षों का अनुसंधान और फिल्मांकन
१४१ भारतीय स्थल, संग्रहालय और पुस्तकालय
५२ विदेशी स्थल और संग्रहालय
३० उच्चकोटि के विद्वानों का योगदान - इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, संस्कृत, कला, मस्तिष्क विज्ञान , योग आदि क्षेत्र से।
भारत की अदभुत मूर्तिकला, नृत्य, संगीत, चित्रकला, मंदिर स्थापत्य ज्ञान और आनन्द को पैदा करने वाला है यह वृत्तचित्र।

प्रस्तुतकर्ता : श्रीमती सूरज एवं श्री वल्लभ भंशाली
शोध और निर्देशन : डॉ दीपिका कोठारी एवं रामजी ओम
विद्वान : प्रो मिनाक्षी जैन, डा. कोनराड एल्स्ट, प्रो. मक्खन लाल
निर्माता : विशुद्धि फिल्म्स एवं देश अपनाएं सहयोग फाउंडेशन
लेखन एवं फिल्मांकन: रामजी ओम
संकलन : संतोष राउत
पार्श्व संगीत : टूटन बी रॉय
website : www.vishuddhifilms.com

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00:00 वाल्मीकि कौन थे?
03:43 वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
05:14 सीता कौन थी?
06:55 भारतीय संस्कृति में रामायण और रामलीला
09:31 भारतीय सभ्यता का आधार दांपत्य जीवन
15:15 रामायण मुक्ति का ग्रन्थ है।
21:15 अटल सत्य है राम।
22:38 भारतीय सत्यनिष्ठ थे, लिखते है कई विदेशी यात्री

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