पद्मा एकादशी व्रत कथा - परिवर्तनी एकादशी - वामन एकादशी 2023 - झलझुलनि एकादशी - Ekadashi Vrat Katha
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी या जयंती एकादशी नाम से जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों में इस एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यता है कि चातुर्मास के शयन के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है।
यह व्रत बहुत ही पावन है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में कुछ सावधानी बरतनी चाहिए। एकादशी के दिन किसी भी प्रकार की दातुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन चावल का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। किसी दूसरे का दिया हुआ भोजन करने से बचें। एकादशी के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन तामसिक भोजन न करें। अहंकार न करें। एकादशी का दिन व्रत, स्नान, दान आदि के लिए बहुत फलदायी माना गया है। इस व्रत में वामन भगवान की कथा को सुनना अनिवार्य है। इस व्रत में ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। पद्मा एकादशी पर संकट में पड़े लोगों की हर संभव सहायता करें। कहा जाता है कि इस दिन माता यशोदा ने कान्हा के वस्त्र धोए थे। इसलिए इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है।
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