जोधपुर शहर का प्रसिद्ध श्री अचलनाथ महादेव मंदिर | 4K | दर्शन 🙏

Описание к видео जोधपुर शहर का प्रसिद्ध श्री अचलनाथ महादेव मंदिर | 4K | दर्शन 🙏

श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी

भक्तों! नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन.... भक्तों आज हम आपको जिस मंदिर की यात्रा पर ले जा रहे हैं वो मंदिर है अचलनाथ का मंदिर...भक्तों! यह अचलनाथ का मंदिर राजस्थान के जोधपुर में स्थित है.

मंदिर के बारे में:
भक्तों जोधपुर स्थित अचलनाथ अर्थात अचलेश्वर मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर के अंदर शिवलिंग के पास गंगा बावड़ी नामक एक जलाशय है उसका प्रयोग पेयजल के रूप में काम में लिया जाता है मंदिर के अंदर अनेक मंडपभवन और कीर्तनभवन हैं इस मंदिर में पत्थरों पर की गयी नक्काशी इस मंदिर को अद्भुत सुंदरता प्रदान करती है। इस प्रकार अचलनाथ मंदिर एक बहुत ही सुंदर एवं लोकप्रिय मंदिर है।

मन्दिर का इतिहास:
भक्तों अचलनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और सुप्रसिद्ध शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा राव गंगा की रानी नानक देवी ने 1531 में करवाया था। कहा जाता है कि तत्कालीन महाराजा राव गंगा और महारानी नानकदेवी के कोई संतान नहीं थी। तब उन्होंने वर्तमान कटला बाज़ार में स्थित स्वयंप्रकट (स्वयंभू) शिवलिंग के पास संतान-प्राप्ति की मनोकामना से एक बावड़ी का निर्माण करवाया था जो आज गंगा बावड़ी के नाम से जानी जाती है। निर्माण के कुछ समय बाद ही दोनों की मनोकामना पूर्ण हो गयी। उन्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

अचलनाथ नाम क्यों पड़ा:
भक्तों जब राजा राव गंगा और महारानी नानक देवी को पुत्र हुआ उस समय स्वयंप्रकट (स्वयंभू) शिवलिंग मंदिर-रहित था अतः महारानी नानकदेवी ने वहाँ मंदिर बनवाने का निर्णय किया। और छित्तर के पत्थरों से भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। उस समय शिवलिंग नीचे स्थल पर विराजमान थे अतः उन्हें ऊंचे स्थल पर स्थानांतरित करने का विचार किया गया। परन्तु कई प्रयासों के बाद भी शिवलिंग को हिलाया नहीं जा सका। तब महादेव की इच्छा मानकर उसी स्थान पर शिवालय बनवाया गया। तभी से यह मंदिर अचलनाथ और अचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

भक्तों की भीड़:
भक्तों यों तो जोधपुर के अचलनाथ मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं औ शिवभक्तों की भीड़ रहती है लेकिन भगवान शंकर को समर्पित सोमवार, प्रदोष – त्रयोदशी, महाशिवरात्रि, और श्रावण मास में शिव भक्तों की अपार भीड़ होती है। इन अवसरों पर भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु, उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु, जोधपुर के इस प्राचीन महादेव मंदिर भक्त गण शिव जी का दर्शन पूजन, जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक आदि करवाते हैं। भगवान भोलेनाथ को दूध, भंग, धतूरा और बेलपत्र आदि समर्पित करते हैं और भगवान शिव से अपनी मनोकामना सिद्धि हेतु प्रार्थना करते हैं।

मंदिर का जीर्णोद्धार:
भक्तों सन् 1977 में नेपाली बाबा ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और प्राचीन पीले शिवलिंग के पास एक और शिवलिंग की स्थापना की जिसे वो नर्मदा से लाए थे। इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। साथ ही मंदिर में राम लक्ष्मण सीता, हनुमान, माँ पार्वती, गजानन आदि की सुन्दर और आकर्षक मूर्तियाँ स्थापित की गयी। मंदिर में स्थित समाधियों के पास ही नेपाली बाबा की एक जीवंत प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के 52 फुट ऊंचे शिखर पर 65 किलो का कलश स्थापित है जिस पर करीब 17 तोला सोने की परत चढ़ी हुई है। वर्तमान में मंदिर की आय भक्तों द्वारा दिए दान और मंदिर परिसर के बाहर स्थित 40 दुकानों के किराये से प्राप्त होती है। समय-समय पर मंदिर में पुनर्निर्माण और नवनिर्माण कार्य भी होते रहते है।

मंदिर परिसर में समाधियाँ:
भक्तों अचलनाथ मंदिर परिसर में कुल 17 नागा साधुओं और महंतों की समाधियाँ हैं, इनमें से 7 जीवित समाधियाँ है। इनके बारे में प्रचलित है की ये बहुत ही आध्यात्मिक और महात्मा हुआ करते थे। छठे महंत चैनपुरी, महाराजा राव गांगा के समकालीन थे। अंतर्दृष्टि से उन्हें पता चला कि महाराजा की आयु मात्र 20 वर्ष की है तब उन्होंने अपने दो अन्य महंत मित्रों के साथ अपने तपोबल से अपनी आयु में से 20-20 साल निकालकर महाराजा की आयु में सम्मिलित कर दिए। इससे महाराजा महंत के कृतज्ञ हुए और उन्हें साधुवाद दिया और मंदिर के रख-रखाव की जिम्मेदारी महंतों को सौंप दी।

दर्शन का समय:
भक्तों जोधपुर के अचलनाथ मंदिर में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के दर्शन का समय 10:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से लेकर 8:00 बजे तक रहता है। अतः आप जब भी इस प्राचीन भव्य और दिव्य मंदिर में दर्शन पूजन का मन बनाएँ तो समय का ध्यान रखें।

सबसे अच्छा समय:
भक्तों अगर आप जोधपुर में अचलनाथ मंदिर की यात्रा के बारे में विचार कर रहे हैं तो आपके लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है। सर्दियों का मौसम इस शहर की यात्रा का सबसे अनुकूल समय है।

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏

इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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