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Скачать или смотреть रावण की शिवलिंग क्यों गणेश जी ने की खंडित ? - सावन स्पेशल शिवरात्रि - बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

  • Shiv Leela
  • 2024-08-01
  • 2434
रावण की शिवलिंग क्यों गणेश जी ने की खंडित ? - सावन स्पेशल शिवरात्रि - बैजनाथ ज्योतिर्लिंग  की कथा
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Описание к видео रावण की शिवलिंग क्यों गणेश जी ने की खंडित ? - सावन स्पेशल शिवरात्रि - बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा (Baidyanath Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha)

श्री बैद्यनाथ महादेव की कथा:
एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर स्थिर होकर भगवान शिव की घोर तपस्या की। उस राक्षस ने अपना एक-एक सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ा दिये। इस प्रकिया में उसने अपने नौ सिर चढ़ा दिया तथा दसवें सिर को काटने के लिए जब वह उद्यत (तैयार) हुआ, तब तक भगवान शंकर प्रसन्न हो उठे। प्रकट होकर भगवान शिव ने रावण के दसों सिरों को पहले की ही भाँति कर दिया। उन्होंने रावण से वर माँगने के लिए कहा।

रावण ने भगवान शिव से कहा कि मुझे इस शिवलिंग को ले जाकर लंका में स्थापित करने की अनुमति प्रदान करें। शंकरजी ने रावण को इस प्रतिबन्ध के साथ अनुमति प्रदान कर दी कि यदि इस लिंग को ले जाते समय रास्ते में धरती पर रखोगे, तो यह वहीं स्थापित (अचल) हो जाएगा।

जब रावण शिवलिंग को लेकर चला, तो मार्ग में चिताभूमि में ही उसे लघुशंका (पेशाब) करने की प्रवृत्ति हुई। उसने उस लिंग को एक अहीर को पकड़ा दिया और लघुशंका से निवृत्त होने चला गया। इधर शिवलिंग भारी होने के कारण उस अहीर ने उसे भूमि पर रख दिया। वह लिंग वहीं अचल हो गया। वापस आकर रावण ने काफ़ी ज़ोर लगाकर उस शिवलिंग को उखाड़ना चाहा, किन्तु वह असफल रहा। अन्त में वह निराश हो गया और उस शिवलिंग पर अपने अँगूठे को गड़ाकर (अँगूठे से दबाकर) लंका के लिए ख़ाली हाथ ही चल दिया। इधर ब्रह्मा, विष्णु इन्द्र आदि देवताओं ने वहाँ पहुँच कर उस शिवलिंग की विधिवत पूजा की। उन्होंने शिव जी का दर्शन किया और लिंग की प्रतिष्ठा करके स्तुति की। उसके बाद वे स्वर्गलोक को चले गये।


रावण की शिवलिंग क्यों गणेश जी ने की खंडित ? - सावन स्पेशल शिवरात्रि - बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा | Om Namah Shivay | #shivleela

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