भारतीय दर्शन vs पाश्चात्य दर्शन । आचार्य प्रशान्त शर्मा

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प्रश्न - मेरी तो जब इच्छा होती है तभी किसी के भी साथ संभोग कर लेती हूँ
अध्यात्म में मन को रोकने की आवश्यकता ही क्या है मन को रोकते हैं तो उतनी ही बेचैनी अधिक होती है ?
मन की कामना की पूर्ति कर लेते हैं तो मन को शांति मिल जाती है और नहीं करते तो मन में बेचैनी रहती है

तो क्या वह शांति अच्छी है यह बेचैनी अच्छी है ?

उत्तर - इस वीडियो में ....

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