Manikaran sahib shiv mandir ki kahani : महादेव का अनोखा मंदिर जहां उनके क्रोध से आज भी खौलता है पानी

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महादेव का अनोखा मंदिर जहां उनके क्रोध से आज भी खौलता है पानी
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Shiva Mandir Manikaran Himachal: 

जय श्री राधे कृष्णा भक्तो! आप सभी का हमारे यूट्यूब चैनल पर बहुत बहुत स्वागत है! आइये आज जानते है! महादेव का एक अनोखा मंदिर जहां उनके क्रोध से आज भी खौलता है वहा का पानी! जिसमे स्नान करने से कैसा भी चर्म रोग से निजात मिलता है! तो अगर आप हमारे चैनल एकादशी व्रत कथा पर नये है तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें! जिससे हमारे आने वाले वीडियो का नोटिफिकेशन आपको मिलता रहे! भारत में हर जगह आपको चमत्कारी मंदिर देखने को मिल जाएंगे. प्रत्येक मंदिर अपने आप में एक रहस्य समेटे हुए है. भगवान शिव के प्रत्येक मंदिर में कोई ना कोई अद्भुत रहस्य और चमत्कार बसा है. भगवान शिव के ऐसे भी मंदिर है जहां शिवलिंग साल दर साल बढ़ रहा है, तो कोई शिव मंदिर कलयुग के अंत का संकेत देता है. उन्हीं में से एक भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर भी है जहां कड़कती ठंड में भी पानी उबलता रहता है. यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है. जिसका पता आज तक कोई भी वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाया है. आइए जानते हैं कि आखिर कहां है यह रहस्यमयी मंदिर और क्या है इसकी कहानी? कहते है भगवान शिव का यह अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर मणिकर्ण में स्थित है। यह स्थल सनातन और सिख दोनों धर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है। मणिकर्ण से होकर पार्वती नदी बहती है, जिसके एक ओर भगवान शिव का पवित्र मंदिर स्थित है और दूसरी ओर गुरु नानक देव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा, जिसे मणिकर्ण साहिब के नाम से जाना जाता है।

इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यहां का उबलता हुआ पानी है, जो साल भर बिना रुके खौलता रहता है। इस चमत्कार के पीछे का कारण आज भी विज्ञान के लिए एक पहेली बना हुआ है। श्रद्धालु इसे भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक मानते हैं और बड़ी संख्या में यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां लोगों की मान्यता है कि जो भी इस पवित्र जल में स्नान करता है. उनके सभी त्वचा के रोग खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा मान्यता है कि श्रीराम ने कई बार इस जगह पर भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी. आज भी श्रीराम की तपस्या स्थली मणिकर्ण में भगवान राम का एक पुराना और भव्य मंदिर कुल्लू के राजा द्वारा बनाइ गई थी! भगवान शिव के इस मंदिर से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित हैं. वैसे तो भगवान शिव जी को भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन जब वह क्रोध में आते है तब उनके प्रकोप से कोई भी नहीं बचता है.

कथा के अनुसार, एक बार नदी में स्नान करते हुए माता पार्वती की के कान का कुंडल का मणि पानी में गिर गया था. जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गया था. जिसके बाद भगवान शिव ने मणि को ढूंढने के लिए अपने सभी सेवक गणों को भेजे लेकिन बहुत ढूंढने पर भी वह मणि उन्हें नहीं मिली. जिससे भगवान शिव नाराज हो गए और अपना विकराल रूप धारण कर अपने तीसरा नेत्र खोल लिया. उनके तीसरे नयन से जो आग के लपटे निकले उससे वह नदी का पानी गर्म हो गया! महादेव के क्रोध के कारण नदी का पानी उबलने लगा! भगवान शिव का यह विकराल रूप देखकर नैना देवी घबरा गई और प्रकट हुई फिर भगवान शिव को शांत कर माता नैना देवी ने भगवान शिव को बताया कि उनकी मणि पाताल में शेषनाग के पास है। फिर उन्होंने पाताल में जाकर शेषनाग से भगवान शिव को यह मणि वापस लौटाने को कहा. जिसके बाद शेषनाग ने महादेव को माता पार्वती की मणि लौटाने के क्रम में शेषनाग ने पाताल लोक से जोर की फुफकार भरी और ऊपर की ओर छोड़ दिया जिससे जगह-जगह ढेर सारी मणियां भी धरती लोक पर आ गईं फिर माता पार्वती की मणि मिलने के बाद भगवान शिव ने उन सभी मणियों को पत्थर बनाकर नदी में वापस डाल दिया! देवताओं द्वारा प्रार्थना करने पर शेषनाग ने मणि वापस कर दी लेकिन वह इतने नाराज हुए कि उन्होंने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूट पड़ी। तभी से इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ गया। और यहा का जल अमृत हो गया! कहते है की मणिकरण में भगवान शिव और मईया पार्वती पृथ्वी लोक के कल्याण के लिए उन्होंने 11 सौ साल तक तपस्या की थी. इससे यहा जो कोई भी जाते है और इस नदी में डुबकी लगाते जन्मो जन्म के पाप कर्मो से मुक्त हो जाते है! तो आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं जय श्री हरि राधे राधे

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