तोड़ दो यह क्षितिज मैं भी देख लूँ उस पार क्या है,
जा रहे जिस पंथ से युग कल्प उसका छोर क्या है।
सिंधु की निःसीमता पर लघु लहर का लास कैसा,
दीप लघु शिर पर धरे आलोक का आकाश कैसा।।”
सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अंतरिक्ष की रोमांचक कल्पनाएँ करता रहा है। इन रोमांचक कल्पनाओं में अंतरिक्ष कभी आध्यात्म का विषय बना तो कभी कविताओं और दंत-कथाओं का। पारलौकिकतावाद से प्रभावित होकर कभी मानव ने अपनी कल्पना के स्वर्ग और नरक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिये तो कभी मानवतावाद के प्रभाव में आकर पृथ्वी को केंद्र में रखा और अंतरिक्ष को उसकी परिधि मान लिया। धीरे-धीरे जब सभ्यता और समझ विकसित हुई तो मानव ने अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिये प्रेक्षण यंत्र बनाएँ, जिनमें दूरबीनें प्रमुख थीं। इसके बाद प्रारम्भ हुआ विज्ञान के माध्यम से अंतरिक्ष को समझने का प्रयास। इस क्रम में आर्यभट्ट से लेकर गैलीलियो, कॉपरनिकस, भास्कर एवं न्यूटन तक प्रयास होते रहे। न्यूटन के बाद आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान का विकास हुआ, जो आज इतना परिपक्व हो गया है कि हम मानव को अंतरिक्ष में भेजने के साथ अंतरिक्ष पर्यटन एवं अंतरिक्ष कॉलोनियाँ बसाने की भी कल्पना करने लगे हैं।
भारत में आधुनिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई थे। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय हित में अंतरिक्ष तकनीक एवं उसके अनुप्रयोगों का विकास करना है। भारत ने जब अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी तो कई विकसित देशों ने इसका मजाक बनाया था,परंतु भारत ने अपने कम बज़ट में भी उच्च अंतरिक्ष तकनीक को हासिल करने में सफलता प्राप्त की और आज वह श्रेष्ठ अंतरिक्ष तकनीक वाले देशों की कतार में शामिल है।
भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियाँ
भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों की बात करें तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हालिया वर्षों में ऐसी कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिसने अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी कहे जाने वाले अमेरिका और रूस जैसे देशों को भी चौंकाया है।
22 जनवरी 2020 को बंगलूरू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) के पहले सम्मेलन में इसरो द्वारा मानवयुक्त गगनयान मिशन हेतु एक अर्द्ध-मानवीय महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ को लॉन्च किया।
27 मार्च 2019 को भारत ने मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) से तीन मिनट में एक लाइव भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
11 अप्रैल 2018 को इसरो ने नेवीगेशन सैटेलाइट IRNSS लॉन्च किया। यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित नेवीगेशन सैटेलाइट है। इसके साथ ही भारत के पास अब अमेरिका के जीपीएस सिस्टम की तरह अपना नेवीगेशन सिस्टम है।
5 जून 2017 को इसरो ने देश का सबसे भारी रॉकेट GSLV MK 3 लॉन्च किया। यह अपने साथ 3,136 किग्रा का सैटेलाइट जीसैट-19 साथ लेकर गया। इससे पहले 2,300 किग्रा से भारी सैटेलाइटों के प्रक्षेपण के लिये विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था।
14 फरवरी 2017 को इसरो ने पीएसएलवी के जरिये एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया। इससे पहले इसरो ने वर्ष 2016 में एकसाथ 20 सैटेलाइट प्रक्षेपित किया था जबकि विश्व में सबसे अधिक रूस ने वर्ष 2014 में 37 सैटेलाइट लॉन्च कर रिकार्ड बनाया था। इस अभियान में भेजे गए 104 उपग्रहों में से तीन भारत के थे और शेष 101 उपग्रह इज़राइल, कज़ाखस्तान, नीदरलैंड, स्विटज़रलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के थे।
25 सितंबर 2014 को भारत ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक मंगलयान स्थापित किया। इसकी उपलब्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत ऐसा पहला देश था, जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की। इसके अलावा यह अभियान इतना सस्ता था कि अंतरिक्ष मिशन की पृष्ठभूमि पर बनी एक फिल्म ग्रैविटी (Graviti) का बजट भी भारतीय मिशन से महँगा था। भारतीय मंगलयान मिशन का बजट करीब 460 करोड़ रुपये (6.70 करोड़ डॉलर) था जबकि वर्ष 2013 में आयी ग्रैविटी फिल्म करीब 690 करोड़ रुपये (10 करोड़ डॉलर) में बनी थी।
22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने देश का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका मुख्यालय बंगलुरू में है।
इसे अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से स्थापित किया गया।
इसे भारत सरकार के ‘स्पेस डिपार्टमेंट’ द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
इसरो अपने विभिन्न केंद्रों के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है।
भारत के लिये इसरो का महत्त्व
स्थापना के पश्चात् भारत के लिये इसरो ने कई कार्यक्रमों एवं अनुसंधानों को सफल बनाया है। इसने न सिर्फ भारत के कल्याण के लिये बल्कि भारत को विश्व के समक्ष सॉफ्ट पॉवर के रूप में स्थापित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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