केसे मनाये धनतेरस // नरक चतुर्दशी //ओर दीपावली //HG PRSHANT MUKUND PRABHU JI

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दीपावली धनतेरस गोवर्धन पूजा विधि || Prashant Mukund Prabhu || Diwali Puja Vidhi

This video covers the vaishnav way of deepawali Celebration

Diwali Puja
Narak chaturdashi Puja
Govardhan Puja
Bhai duj Puja
Dhanteras Puja
Rama ekadashi Puja
Vasu Baras Puja

Vasu baras - kamdhenu ki puja ( canto 8 Chapter 8)
Govatsa dwadashi day
Om surbhay namah
Om gaum

mata Rudra nam, duhitha Vasu nam swas adityanam amrutasya nabhih ma vadhista”

which means "The cow is the mother of Rudras, the daughter of Vasus, sister to Adityas, the navel of amrita!... don't kill the cow".

Dhanteras (canto 8 chapter 8, verse 32)

Mantra ॐ नमो भागवते वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलश हस्ताय सर्वामय विनाशनाय त्रैलोक्यनाथय श्री महाविष्णवे नमः

Narak chaturdashi (canto 10, chapter 59)
इस दिन यमराज के दीपक को दक्षिण दिशा में जलाने से परिवार अकाल मृत्यु से सुरक्षित रहता है
नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाते समय

'दत्तो दीप: चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया। चतुर्वर्ति समायुक्त: सर्व पापान्विमुक्तये'

मंत्र का जाप किया जाता है. इसका अर्थ है, 'इस चतुर्दशी के दिन, नर्क के देवता की प्रसन्नता के लिए और सभी पापों के नाश के लिए मैं यह चार मुख वाला, चार बातियों वाला दीपक अर्पित करता हूं'

Deepawali (canto 8 chapter 8) (canto 6, chapter 19)

Govardhan Puja ( canto 10 chapter 24)

Bhai duj (10.65.25-30)

दिवाली पूजन की विधि || पंच दिवसीय दिवाली कब और कैसे बनाये || प्रशांत मुकुंद प्रभु || Deepawali 🪔

Mantras for pujan ~~~~

Dhanteras pujan }}}}}

ŚB 9.17.4
काश्यस्य काशिस्तत्पुत्रो राष्ट्रो दीर्घतम:पिता ।
धन्वन्तरिर्दीर्घतमस आयुर्वेदप्रवर्तक: ।
यज्ञभुग् वासुदेवांश: स्मृतमात्रार्तिनाशन: ॥ ४ ॥

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वामयविनाशनाय त्रिलोक्यनाथाय श्री महाविष्णवे नमः ||.

Narak chaturdashi pujan }}}}

ŚB 10.59.21
शूलं भौमोऽच्युतं हन्तुमाददे वितथोद्यम: ।
तद्विसर्गात् पूर्वमेव नरकस्य शिरो हरि: ।
अपाहरद् गजस्थस्य चक्रेण क्षुरनेमिना ॥ २१ ॥

Deepawali pujan }}}}}}}}}

Raksha deepak - भो दीप देव रूपस्त्वं कर्म साक्षी ह्यविघ्नकृत् |
यावत् कर्म समाप्ति स्यात् तावत् त्वं सुस्थिरो भव ||
अर्थ – हे दीप , आप देवता स्वरूप हैं. सब विघ्नों को दूर करके मेरे कर्मों के साक्षी रूप ( आप) पूजन ( कर्म) समाप्ति तक प्रकाशित रहें.

Deepak 31 Mantra - भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ||

Normal deep mantra - शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा। शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते।।
Meaning: जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा करता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप यानी दीपक की रोशनी को मैं नमन करता हूं।

Govardhan Pujan }}}}}}}}}

ŚB 10.24.32-33
तथा च व्यदधु: सर्वं यथाह मधुसूदन: । वाचयित्वा स्वस्त्ययनं तद्‌‌द्रव्येण गिरिद्विजान् ॥ ३२ ॥ उपहृत्य बलीन् सम्यगाद‍ृता यवसं गवाम् । गोधनानि पुरस्कृत्य गिरिं चक्रु: प्रदक्षिणम् ॥ ३३

Yam Dwtiya pujan }}}}}}

नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा
मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम ।



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