1.सम्यक दृष्टि Right attitude बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग दुख मुक्ति का मार्ग 8 life changing teaching

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1. सम्यक दृष्टि || बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग दुख मुक्ति का मार्ग 8 life changing teaching by budha astangik marg || Dr Parveen Garg

सुबह 10:00 बजे देखिए लाइव शो सम्यक दृष्टि से कैसे जीवन की तमाम उलझनों को सुलझा सकते हैं?? स्पेशल शो डॉ प्रवीण गर्ग जी द्वारा

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1. चिंता रोग
               चिंतित रहना ,परेशान रहना, काम में मन ना लगना ,पेट दर्द सिर दर्द कमर दर्द बिना किसी शारीरिक कारण के ,व्यवहार में गुस्सा और चिड़चिड़ापन

2. Depression उदासी रोग
                                        उदास रहना,अकेले रहना
, अंधेरे में रहना, बात करने को मन ना करना, रुचि के कार्यों में इंटरेस्ट खो देना, नकारात्मक विचार आना,आत्महत्या के विचार आना, नींद बहुत कम या ज्यादा आना, भूख कम या ज्यादा लगना

3. OCD वहम का रोग
                                बार बार हाथ धोना, ताला चेक करना, गैस चेक करना, कपड़ों पर गंदगी महसूस होना, नहाने में ज्यादा समय लगना, रिमोट मोबाइल दरवाजे के हैंडल पर गंदगी के विचार आना, मन में विचार लगातार चलते रहना, भगवान ईश्वर के प्रति बुरे विचार आना, बार-बार मन्नत मांगते रहना माफी मांगते रहना

4. नींद नहीं आना(Insomnia)
                    नींद के लिए दवा लेना विचार परेशान करते रहना करवटें बदलते रहे ना बुरे सपने आना सोते वक्त डर चिंता घबराहट मन में बने रहना नींद के लिए नशे का प्रयोग

5. Sexual Problems
                                     इच्छा कम होना तनाव कम होना ठंडा पन होना या बार-बार मन में सेक्सुअल विचार घूमते रहना हस्तमैथुन करना परिवार वालों के प्रति सेक्स और विचार मन में आना बच्चों के प्रति सेक्सुअल विचार आना भगवान के प्रति सेक्सुअल विचार आना सारा दिन सेक्सुअल विचार ही चलते रहना बार-बार पॉर्नोग्राफी देखना

6. Hysteria भूत प्रेत माता आना
                                                    भूत प्रेत आना, माता आना, बेहोश हो जाना, सिर घुमाना, पिशाच आना, जिन और आत्मा आना यह सब मानसिक रोग है जिसका नाम हिस्टीरिया है यह सब मानसिक उलझनों के कारण होता है| जिन्होंने पहले बचपन में भूत प्रेत की बहुत कहानियां सुनी होती है जिनका भूत प्रेत माता या रहस्यमई दुनिया में विश्वास होता है उनके अवचेतन मन में यह सब कुछ बैठ जाता है और जैसे ही उनकी अचेतन इच्छाएं पूरी नहीं होती है या किसी के सामने प्रतिकूल परिस्थिति आती है जैसे अगर कोई लड़की है तो उसके घर में इज्जत ना हो ना उसको बार-बार दबाना या उसकी सेक्सुअल इच्छाओं की पूर्ति ना होना इन सबके चलते हिस्टीरिया पैदा हो सकता है हिस्टीरिया में दो तरह के गेन Gane  कि प्राप्ति होती है

Primary Gane
                        प्राथमिक अगेन में मरीज को संतुष्टि मिलती है उसका तनाव या चिंता दूर हो जाती है जब कोई विपरीत परिस्थिति आती है तो मरीज के अंदर बहुत ज्यादा तनाव चिंता बढ़ जाती है और दौरा पड़ने पर या माता भूत आने पर या सिर घुमाने से उसकी चिंता काफी हद तक ठीक हो जाती है
secondary gane

सेकेंडरी अगेन में मरीज सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है उसे बहुत सारे कामों में उसको लाभ मिलता है सभी उसका हालचाल पूछते हैं अलग-अलग जगहों पर उसे ले जाते हैं तो इस वजह से अटेंशन सीकिंग बिहेवियर उसका बन जाता है और ध्यान आकर्षित करने के लिए इस तरह की एक्टिविटी जारी रहती है

Treatment 

सम्मोहन चिकित्सा और साइकोथेरेपी की मदद से हिस्टीरिया पर आसानी से काबू पाया जाता है जिसको भी माता आती है भूत प्रेत आते हैं जिन आता है पिशाच आता है वह संपर्क कर सकते हैं और हमेशा के लिए इस झंझट से मुक्ति पा सकते हैं

manovikar ki aadaten
एक कदम मानसिक मजबूती की ओर.....

क्या आपको लगता है की आप कुछ ज्यादा ही स्वछता का ध्यान रखते हैं?
बार- बार हाथ धोना
घर की चीजों को बिना वजह व्यवस्थित करना
नहाने में ज्यादा समय देना
आप कोशिश करके भी अपनी इस आदत  को नहीं छोड़ पा रहे है ?

हो सकता है आप की यह आदत मनोविकार हो ?

ओसीडी(Obsessive compulsive disorder) एक बहुत ही चिंताजनक विकार है ,जिसमे व्यक्ति किसी कार्य को बार बार करने के लिए बाध्य होते हैं| वे  खुद को नियंत्रित करने के लिए सक्षम नहीं हो पाते हैं ।

Obsessive compulsive disorder के कारण पूरी तरह से समझ में नहीं आये हैं । ओसीडी  शरीर की अपनी प्राकृतिक रसायन शास्त्र या मस्तिष्क के कार्य में परिवर्तन की वजह से हो सकता है। और यह जेनेटिक भी हो सकता है | लेकिन विशिष्ट जीन की पहचान होना अभी बाकी है। 

अमेरिकी मनोरोग एसोसिएशन द्वारा लिखित मानसिक विकारों के लिए नैदानिक और सांख्यिकी मैनुअल में ओसीडी के निदान के लिए निम्न लिखित मानदंड हैं

जूनून या मजबूरी या दोनों की उपस्थिति। - जूनून का सम्बन्ध  ज्यादा चिंता, परेशानी या अपराध भाव से होता है,और व्यक्ति अपनी इन  इन नकारात्मक भावनाओं को कम करने के लिए बार बार किसी कार्य को बाध्य हो कर करने लगता है

हमेशा नकारात्मक विचारों को सोचने से ज्यादा चिंता,परेशानी और तनाव रहता है ।
व्यक्ति उन नकारात्मक विचारों को दबाने के लिए मजबूरी में बार बार किसी कार्य को करता है ।
जैसे अगर मैंने दरवाजे को सात बार चेक नहीं किया,तो कुछ बुरा हो जायेगा

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