जे एस मिल के स्वतंत्रता संबंधी विचार ||J.S Mill View's On Liberty By Karan sir

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मिल ने अपने स्वतंत्रता सिद्धांत में स्वतंत्रता को दो प्रकार से परिभाषित किया है। प्रथम परिभाषा के अनुसार व्यक्ति अपने मन व शरीर का अकेला स्वामी है अर्थात् व्यक्ति की स्वयं पर प्रभुता है। इस परिभाषा के अनुसार व्यक्ति के कार्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। मिल ने कहा है “अपने आप पर, अपने कार्यों पर तथा अपने विचारों पर व्यक्ति अपना स्वयं संप्रभु है।” मिल का कहना है कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास स्वतंत्र वातावरण में ही संभव है। उसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति का कार्य दूसरों के लिए हानिकारक नहीं है तो उस पर प्रतिबंध लगाना न्यायसंगत नहीं है। यह परिभाषा व्यक्ति के आत्मपरक कार्यों के संबंध में पूरी स्वतंत्रता प्रदान करने के पक्ष में है। यह परिभाषा उपयोगिता के स्थान पर आत्म विकास पर जोर देती है।

दूसरी परिभाषा के अनुसार व्यक्ति उन कार्यों को नहीं कर सकता, जिनसे दूसरों के हितों को हानि पहुंचती हो। मिल का कहना है कि “व्यक्ति को उस कार्य को करने की स्वतंत्रता है जिसको वह करना चाहता है, किंतु वह नदी में डूबने की स्वतंत्रता नहीं रख सकता।” व्यक्ति केवल वही कार्य कर सकता है जिससे दूसरों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता हो। इस परिभाषा के अनुसार व्यक्ति को सकारात्मक कार्य करने के अधिकार प्राप्त हैं। यदि व्यक्ति कोई अनुचित कार्य करता है तो समाज या राज्य के पास उसे रोकने का अधिकार है। यह परिभाषा अन्यपरक कार्यों से संबंधित है। इस प्रकार मिल का स्वतंत्रता से तात्पर्य करने योग्य कार्यों को करने तथा न करने योग्य कार्यों पर रोक से है।

स्वतंत्रता के दार्शनिक आधार – मिल ने अपने स्वतंत्रता के सिद्धांत का समर्थन दो प्रकार के दार्शनिक आधारों पर किया है। पहला- व्यक्ति की दृष्टि से तथा दूसरा- समाज की दृष्टि से। पहला – मिल का मानना है कि व्यक्ति का उद्देश्य अपने व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास है जो कि स्वतंत्र वातावरण में ही संभव हो सकता है। यदि व्यक्ति को स्वतंत्रता प्रदान न की जाए तो उसके जीवन का मूल उद्देश्य ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए व्यक्ति के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए स्वतंत्रता का होना बहुत जरूरी है। दूसरा – दार्शनिक आधार के समर्थन में मिल ने कहा है कि मानव समाज की प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि सभी व्यक्तियों को विकास के अवसर प्रदान किए जाएं, ताकि वे अपना सर्वांगीण विकास कर सकें। मिल का मानना है कि समाज का विकास विशेष व्यक्तियों के कारण होता है। ये व्यक्ति कला, विज्ञान, साहित्य आदि क्षेत्रों में नवीनता लाने का सतत् प्रयास करते रहते हैं।

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