राजस्थान के मठ/मंदिर और तीर्थ स्थल। माता राणी भटियाणी। History of Mata Rani Bhatiyani। episode 4

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माता राणी भटियाणी का मंदिर बाड़मेर जिले की पचपदरा तहसील के बालोतरा शहर के पास जसोल गांव में स्थित है। मां राणी भटियणी का असली नाम स्वरूप कंवर है। श्री राणी कंवर भटियाणी 18वीं शताब्दी में राजस्थान के बाड़मेर जिले के जसोल ग्राम में लोक देवी के रूप में प्रकट हुई। तकरीबन 300 वर्षो से पूजित है। भारत की स्वतंत्रता से पूर्व जसोल महेचा राठौड़ों की मालाणी क्षेत्र की राजधानी थी। जिसका क्षेत्र बाड़मेर, जैस्लमेर, जालोर व सिंध के कई भागों में रहा।
महेचा राठौड़ अपना उद्भव राष्ट्रकूटों से मानते है लेकिन बाद में कनौज के राव सिहाजी से मानते है जो कि 12वीं शताब्दी में राजस्थान आये। और पाली पर आधिपत्य स्थापित किया। उनके पुत्र राव आस्थानजी ने बाड़मेर जिले में लूनी नदी के तट पर खेड़ पर आक्रमण कर गुहिलों को हरा कर राठौड़ राज्य की नींव रखी।
14वीं शताब्दी में संत शासक रावल श्री मल्ल्लीनाथजी के समय में राठौड़ वंश राज्य की राजधानी खेड़ से मेवानगर या महेवा हस्तांतरित हो गई। रावल श्री मल्ल्लीनाथजी को माला भी कहा जाता है। और उन्हीं के नाम से उनके राज्य का नाम मालाणी पड़ा। तथा महेवा के राठौड़ों को कालान्तर में महेचा कहा गया।
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