क्या हो गया इस इंसान को? 🪷 खाटू श्याम बाबा भजन दर्दभरा कलयुग का सच 🙏 Monu Singh🏵️
भजन प्रारंभ — ढोलक पर हलकी थाप, चिमटे की झंकार]
कि आज के इस इंसान को यह क्या हो गया हुआ था,
श्याम बिना उसका सच्चा प्यार भी खो गया हुआ था।
ये कैसी यह मनहूस घड़ी है, भाइयों में जंग छिड़ी है,
खून बहा है गली-गली में, बस श्याम की यादें बची हैं।
चारों ओर दगा-दगा है, हर बुरे पर खून सना है,
भूखी है जनता सारी, रोटियों की राहें रुकी हैं।
रोते नर-नारी सारे, अब भानगढ़ मुदलियार रोते,
श्याम की चौखट पर ही अब, सलमान-सीता भी रोते।
[हारमोनियम का मधुर स्वर भरता है]
मोहन ने सब समझाया था, पर हमने सुन न पाया था,
श्याम की लीला समझ न पाए, जब वो चुपचाप आया था।
लाखों बार मुसीबत आई, पर श्याम की कृपा बचाई,
बहनों की लाज बचाई, पर अब वो बात कहाँ है भाई।
हर तरफ खर्च डबल-डबल, पूल की रवानी है चल,
पर चेतावनी दे गई हवा, “श्याम बिना खतरा हर पल।”
दुल्हन की चूड़ियां डरती हैं, हर पायल शंकित है,
कहीं हो ना जाए फिर कोई यौन हिंसा की घटना अक्षित।
[चिमटे की झनकार के बीच ढोलक तेज होता है]
हमने देखा वतन को लुटता, आधुनिकता पतंग बनी,
श्याम बिना मजहब रोता, और धर्म सिसक-सिसक कर हँसी।
अब कोई रक्षक नज़र न आता, नगर ही डर से कांप गया,
श्याम की चौखट सूनी है, भक्तों का दिल थर्राया।
हाय मोहब्बत भी तो अब, व्यापारों में तौल दी गई,
श्याम तेरी शरण में आए, तो ही जान ये बची सही।
अब वही जो खून की धारा, वही श्याम को पुकारे,
उस समाज की ये दुर्दशा, अब तेरे ही नाम से सुधारे।
[संगीत का उतार – चढ़ाव, भावुक लय में क्लाइमेक्स]
कह दो सब से —
ये कैसा है तप-हर, हवा में ज़हर फैला,
श्याम ही है वो प्रभु जो इस कलयुग को संभाले।
भयानक रात लगी है, मौत की भी चाल चली है,
बस एक तू ही बचा है श्याम, हर आँख तुझी पे टिकी है।
बंद खिड़की, डर के मारे, बैठा हर बेचारा,
अब कौन बचाए इनको, कहाँ गया वह सहारा।
बस तू ही है जो आएगा, श्याम तू ही बचाएगा,
Monu Singh की कलम से, अब तेरा नाम ही गाएगा।
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