दशहरा पर्व का महत्वपूर्ण विधान जोगी बिठाई की रस्म शनिवार शाम सिरहासार भवन में पूरी की गई II News

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इस बीच राजा के प्रतिनिधि के तौर 9 दिनों तक उपवास रखने वाले जोगी ने मास्क पहनकर कोरोना से बचाओ का सन्देश दिया।कोरोना महामारी से बीच इस वर्ष आम नागरिको को पर्व के किसी भी अनुष्ठान में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई.लगभग छह सौ बरसों से चली आ रही परम्परा के अनुसार आमाबाल गांव के भगत राम को विधि-विधान से मावली देवी की पूजा-अर्चना के बाद सिरहासार भवन पहुंचाया गया.इसके बाद जोगी नौ दिनों के तप के लिए बनाए गए गड्ढे में बैठे,शनिवार शाम सिरासार भवन में मांझी-चालकी व पुजारी की मौजूदगी में जोगी को नए वस्त्र पहनाए गए.तदुपरांत उसे गाजे-बाजे के साथ कपड़ों के पर्दे की आड़ में सिरासार के पास स्थित मावली माता मंदिर ले जाया गया.मावली मंदिर में पुजारी द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया.देवी की पूजा-अर्चना उपरांत वहां रखे तलवार की पूजा की गई.इसके बाद उक्त तलवार लेकर जोगी वापस सिरासार भवन में पहुंचे,पुजारी के प्रार्थना उपरांत जोगी नौ दिनों तक साधना का संकल्प लेकर गड़ढे में बैठे,साधना काल में जोगी की सेवा-सुषुश्रा के लिए आमाबाल से ग्रामीण आए हुए हैं.मान्यता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न् होती हैं तथा विशाल दशहरा पर्व निर्विघ्न संपन्न होता है.उल्लेखनीय है कि यहां जोगी बिठाई की रस्म 6 सौ से भी अधिक वर्षों से एक ही परिवार निभा रहा है.नवरात्र की शुरुआत के साथ ही मां दन्तेश्वरी के प्रथम पुजारी के रूप में जोगी 9 दिनों तक एहोती थी ताकि यहां खुशहाली रहे लेकिन 9 दिनों तक राजा की जगह जोगी को
#जगदलपुर

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