🚩ब्रह्मऋषि देवराहा बाबा दुर्लभ साक्षात्कार | BrahmaRishi Devraha Baba Interview| Rare Video.🚩🥀🌷🔆

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✅Devraha Baba (Died 19 June 1990) was an Indian Siddha Yogi. He was also known as "Ageless Yogi"
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ब्रह्मऋषि देवरहा बाबा का निवास ज्यादातर भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया में रहता था. एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्त पुरुष थे देवरहा बाबा. देवरहा बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ किसी को भी पता नहीं है. यहाँ तक कि उनकी सही उम्र के विषय में अलग-अलग राय है. आमतौर पर सुनने में आता हैं कि देवरहा बाबा 900 साल तक जिन्दा थे. पर कुछ लोग 250 साल तो कुछ 500 साल मानते हैं. बाबा यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे. बाबा जानवरों की भाषा समझ जाते थे. पल भर में खतरनाक जंगली जानवरों को वह काबू कर लेते थे.
श्रद्धालुओं के अनुसार बाबा अपने पास आने वाले भक्तों से बड़े प्रेम से मिलते थे और उनको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे. प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे. यह किसी चमत्कार जैसा ही लगता था. वहाँ जाने वाले पुराने लोगों का कहना यह है कि बाबा को किसी ने कभी भी आते-जाते नहीं देखा. परन्तु वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे. उनके आस-पास के बबूल के पेड़ों में कांटे नहीं होते थे तथा चारों तरफ सुंगध ही सुंगध होता था.
बाबा का आशीर्वाद देने का तरीका निराला था. मचान पर बैठे-बैठे ही अपना पैर जिसके सिर पर रख दिया, वो धन्य हो जाता था. उनके दर्शनों को प्रतिदिन विशाल जनसमूह उमड़ता था. बाबा भक्तों के मन की बात भी बिना बताए जान लेते थे. उन्होंने पूरा जीवन अन्न नहीं खाया. दूध व शहद पीकर जीवन गुजार दिया. श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था.
कहा जाता है कि बाबा देखते ही समझ जाते थे कि सामने वाले का सवाल क्या है. दिव्यदृष्टि के साथ तेज नजर, कड़क आवाज, दिल खोल कर हंसना, खूब बतियाना बाबा की आदत थी. याद्दाश्त इतनी कि दशकों बाद मिले व्यक्ति को भी पहचान लेते और उसके दादा-परदादा तक का नाम व इतिहास तक बता देते.

देह त्यागने के समय तक वे कमर से आधा झुक कर चलने लगे थे. उनका पूरा जीवन मचान पर ही बीता. मइल में वे साल में आठ महीना बिताते थे. कुछ दिन बनारस के रामनगर में गंगा के बीच, माघ में प्रयाग, फागुन में मथुरा के मठ के अलावा वे कुछ समय हिमालय में एकांतवास भी करते थे. देवरहा बाबा ने अचानक 11 जून 1990 को दर्शन देना बंद कर दिया. तब अचानक मौसम तक का मिजाज बदल गया था. 11 तारीख को मंगलवार के दिन योगिनी एकादशी थी. यमुना की लहर का उछाल बाबा की मचान तक पहुंचने लगा. इन सब के बीच बाबा शाम चार बजे इस दुनिया को छोड़ कर चले गये

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