Swadhyay with Satyam



"स्वाध्यायः प्रणवादिपवित्राणां जपो मोक्षशास्त्राध्ययनं वा।"
प्रणवादि पवित्रमन्त्रों का जप और मोक्षशास्त्रों का अध्ययन 'स्वाध्याय' कहा जाता है।

और

स्वाध्याय का शाब्दिक अर्थ है- 'स्वयं का अध्ययन करना'।


जीवन-निर्माण और सुधार संबंधी पुस्तकों का परमात्मा और मुक्ति की ओर ले जाने वाले ग्रंथों का अध्ययन, श्रवण, मनन, चिंतन आदि करना स्वाध्याय कहलाता है। आत्मचिंतन का नाम भी स्वाध्याय है। अपने बारे में जानना और अपने दोषों को देखना भी स्वाध्याय है। स्वाध्याय के बल से अनेक महापुरुषों के जीवन बदल गए हैं। शुद्ध, पवित्र और सुखी जीवन जीने के लिए सत्संग और स्वाध्याय दोनों आधार स्तंभ हैं।

स्वाध्याय से व्यक्ति का जीवन, व्यवहार, सोच और स्वभाव बदलने लगता है।

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- seeker