वक्री गति - Retrograde Motion of Mars

Описание к видео वक्री गति - Retrograde Motion of Mars

यह मॉडल हमारे सौर मंडल के आंतरिक ग्रहों की सापेक्ष गति को दर्शाता है।
बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल।"

जैसा कि आप मॉडल में देख सकते हैं कि जो ग्रह सूर्य के जितना करीब होगा, वह उतनी ही तेजी से गति करेगा।

यह उस ग्रह पर लगने वाले सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है। यह बल सूर्य के नजदीक के ग्रहों पर बहुत ज्यादा होता है।

ग्रह सूर्य से जितना दूर होगा, सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही कमजोर या कम होगा और ग्रह की अपनी कक्षा में गति उतनी ही धीमी होगी।

ग्रहों की सूर्य के चारों ओऱ अलग-अलग गति से परिक्रमा के कारण हम विभिन्न खगोलीय घटनाओं को देख पाते हैं।

आइए हम मंगल ग्रह पर नज़र डालें, जो लाल ग्रह के नाम से जाना जाता है।

मंगल जिस गति से सूर्य के चारों ओर घूमता है वह गति पृथ्वी की तुलना में धीमी है। क्योंकि हमारी पृथ्वी मंगल ग्रह की तुलना में सूर्य के ज्यादा नजदीक है।

आइए हम मंगल की रेट्रोग्रेड गति को देखें

जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी कर लेती है, तब मंगल अपनी परिक्रमा का केवल आधे से अधिक भाग ही पूरा कर पाता है।

इस बिंदु पर, मंगल और सूर्य पृथ्वी के बिल्कुल विपरीत दिशा में हैं। तो इसे विज्ञान की भाषा में मार्स एट अपोजिशन कहा जाता है।

विपरीत दिशा में होने पर, किसी ग्रह का निरीक्षण करना सबसे आसान होता है क्योंकि यह उस समय पृथ्वी के सबसे करीब होता है और रातभर दिखाई देता है।

अन्य स्थितियों की तुलना में अपोजिशन के समय यह ग्रह और अधिक चमकीला होता है।

मंगल और पृथ्वी के बीच यह अपोजिशन का स्थान समय के साथ बदलता रहता है।

मंगल ग्रह का अपोज़िशन लगभग हर 26 महीने में होता है।


"पृथ्वी की कक्षा के अंदर की कक्षाओं वाले ग्रह यानी सूर्य के नजदीक वाले ग्रह जो बुध और शुक्र हैं, अपोज़िशन में नहीं हो सकते।
लेकिन पृथ्वी की कक्षा के बाहर परिक्रमा करने वाले ग्रह जो मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण हैं - अपोजिशन में हो सकते हैं।"

इसी दौरान एक और दिलचस्प घटना भी घटती है। जिसमें मंगल रेट्रोग्रेड गति प्रदर्शित करता है।
आइए इसे मॉडल की मदद से समझें।
हम इस बने हुए मॉडल को और आसान बनाते हैं।
इन भुजाओं को एल्यूमीनियम पाइप के साथ और आगे बढ़ा देते हैं।
इन पाइपों पर दो ग्रह - पृथ्वी तथा मंगल रहेंगे।
इस काले कनेक्टर में दो छेद हैं।
यह सीधे छिद्र के चारों ओर आसानी से घूम पाएगा।
यह लंबी छड़ क्षैतिज छेद के माध्यम से आसानी से फिसल सकती है।
यह मंगल ग्रह का कनेक्टर है। हम स्लाइडर पर टेप चिपका देंगे ताकि वह इधर-उधर न हिले।
पृथ्वी को पकड़े हुए कनेक्टर में स्लाइडर स्वतंत्र रूप से घूम रहा है।
दोनों ग्रह अपनी सापेक्ष गति से घूम रहे हैं।
हम सामने की तरफ एक लेज़र पॉइंटर लगा देंगे, जिससे पृथ्वी से दिखने वाली मंगल ग्रह की गति का पता लगाने में मदद मिलेगी।
प्लास्टिक की बोतल जरूरत पड़ने पर लेजर के स्विच को दबाए रखेगी।
चलो कागज से बने इन तारों से आसमान को सजाएं।
इन तारों से भरे आसमान में हम मंगल की गति को देख सकते हैं।
ऊपरी बाएँ कोने पर यह छोटा फ्रेम दृश्य को ऊपर से दिखा रहा है।
यह मुख्य फ्रेम सामने का दृश्य दिखा रहा है।
अभी पृथ्वी से देखा गया मंगल ग्रह का रास्ता दाएँ से बाएँ की तरफ है।
इस बिंदु पर यह अपनी बाईं ओर की गति को रोक देता है।
अब यह बाएँ से दाएँ की ओर बढ़ रहा है।
यह दाईं ओर की गति का आखरी बिंदु है।
इस बिंदु के बाद, यह फिर से दाएं से बाएं की ओर गति शुरू कर देता है।
जैसा कि आप छोटे फ्रेम में देख सकते हैं, कि मंगल की वास्तविक गति हमेशा एक ही दिशा में होती है।
लेकिन पृथ्वी और मंगल की स्थिति और गति में बदलाव के कारण, यह पीछे की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत हो रहा है।
ग्रह की इस उल्टी गति को 'वक्री' गति के नाम से भी जाना जाता है।
आइए इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए स्टेलारियम सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं।

इसमें तारीख 14 अगस्त 2022 सेट की गई है।

बाईं ओर ग्रहों को अपनी कक्षाओं में घूमते हुए देखा जा सकता है। दाहिनी ओर, मंगल ग्रह जैसा पृथ्वी से आकाश में दिखाई देता है, वैसा ही दिखाया गया है।

यदि आप हर रात एक ही समय पर पूर्वी आकाश में देखें और ध्यान दें, कि तारों के तारामंडल की तुलना में मंगल ग्रह कहाँ दिखाई देता है, तो आप प्रत्येक दृश्य के साथ ग्रह को पूर्व की ओर पाएंगे।

अर्थात्, मंगल एक रात से दूसरी रात तक पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत होगा।


लेकिन 30 अक्टूबर 2022 से, हर रात मंगल की स्थिति की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बदलती हुई प्रतीत हो रही है।

यह सिर्फ एक भ्रम है और इसका कारण उस गति को माना जा सकता है जिस गति से मंगल और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।

इस आभासी गति को "रेट्रोग्रेड गति" कहा जाता है। यह भ्रम बृहस्पति और पृथ्वी की बाहरी कक्षा में मौजूद अन्य ग्रहों के साथ भी होता है।

12 जनवरी 2023 से सामान्य गति देखी जा सकती है।

इस उल्टी चाल को दर्शाने के लिए यदि एक पैटर्न बनाया जाए, तो वो हर बार एक जैसा नहीं होगा। ये पिछले कुछ वर्षों में इसी तरह के अवसरों पर देखे गए कुछ पैटर्न हैं।

हम अगले वीडियो में ऐसी और घटनाओं के बारे में जानेंगे।

धन्यवाद

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