Hindi Kavita || समाज || हिंदी कविता || (समाज की दशा) || by

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समाज एक ऐसा बसेरा है जहाँ पर मनुष्य नाम का प्राणी रहता है और अपने द्वारा किए गये कार्यों एवम् आचार-विचार और संस्कृति से इसका निर्माण करता है!

परंतु यदि इस समाज में रहने वाले लोग केवल अपना ही भला सोचने लगें और इस समाज की हालत को इसके हालात को बद से बदतर कर दें तो बहुत ही बुरा लगता है!

बल्कि समाज में रह रहे अन्य लोगों का जीना मुहाल हो जाता है, आज की कविता में हमने कुछ ऐसे ही मुद्दों पर शब्दप्रहार किया है जो शायद कुछ लोगों की आँखों की रोशनी लोटाने का प्रयास करेगा!

:- कैसे लोगों का बसेरा है ये,
:- नया लेकिन काला सवेरा है ये,
:- मीठे के नाम पर लाखों की डील होती है,
:- एक पौधा प्यार का लगाना होगा,

आशा और उम्मीद करते है के आपको ये कविता पसंद आएगी!

_यशपाल सिंह

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