Harsh Sikar

Описание к видео Harsh Sikar

दोस्तो,
मोटरहोम (#motorhome ) या कारावेन (#caravan) ,आर.वी. (#rv) के साथ #overlanding, हमें रास्ते में मनोरम स्थलों पर रुकते हुए, अपनी गति से यात्रा करने की अनुमति देती है ।
हमने घर पर ही खुद से (#diy) #Force Motors की नई गाडी #Urbania में कारावेन कंवर्जन #Conversion किया है।
Caravan Conversion की कडी में आप की जानकारी/ सुविधा के लिये, हमारे वाहन का पुनर्निर्माण ( #Recreating Vehicle , #rv ) के दौरान प्राप्त आवश्यक उपकरणों (#instruments , #devices ) के अनबॉक्सिंग वीडियो (#unboxing video )भी इस चैनल पर अपलोड किये हैं ।

अब हम कारावेन से #travel के #vlog upload कर रहे हैं ।
हमने पहले राजस्थान के शेखावाटी को एक्स्प्लोर करने का निर्णय लिया है जिसके विडियो आप #playlist #ExploringShekhawatiRajasthan में देख सकते हैं ।

ABOUT CURRENT VIDEO :
Title : HarshParvat | Harshnath HarshBahairav temple Sikar -Rajasthan Tourist Place| Ardhnarishwar Ganesh Statue |EWC-04

Welcome to @ExploringWithCaravan #Vlog : 04 ( #HarshParvat #HarshNath #HarshnathSikar #Harshgiri #arawaliParvatMala #Mountain #ArdhnarishwarGanesh #Bhairav #Tour #Travel #shubhjourney #vlogvideo )
भारत में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के जाने माने पर्यटन स्थल, जीणमाता जी से 14 कि.मी., खाटूश्याम जी से 67 कि.मी., सालासर से 75 कि.मी. तथा शेखावाटी के विकसित नगर सीकर से 13 किमी दूर दक्षिण में है हर्ष पर्वत ( Harsh Parvat Sikar ) की तलहटी में बसा हर्ष गाँव ( Harsh Village Sikar ) । हर्ष गाँव से करीब 8 कि.मी. के पहाड़ी वाले रास्ते से चढ़ाई के बाद शिखर पर स्थित यह ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक व पुरातात्विक दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है ।
समुद्र तल से लगभग 3100 फीट ऊंचाई हर्ष पर्वत सीकर अरावली पर्वत श्रृंखला का भाग है। जो राजस्थान के सर्वोच्च पर्वत माउंट- आबू के बाद सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है। इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा।
जिसके अनुसार दुर्दांत राक्षसों ने स्वर्ग से इंद्र व अन्य देवताओं को बाहर निकाल दिया था। तब उन्होंने इस पर्वत पर सरण ली और भगवान शंकर की आराधना व स्तुति की। भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था । इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। एक पौराणिक दंतकथा के अनुसार हर्ष को जीणमाता का भाई माना गया है।
हर्ष पर्वत पर तीन प्रकार के मंदिर है –
1. पूर्वाभिमुख पुन्च्मुखी महादेव मंदिर ( निर्माण-चाहमन शासक विग्रराज प्रथम के शासनकाल मे बना ) : भगवान शंकर का प्राचीन व प्रसिद्ध पुन्च्मुखी महादेव मंदिर हर्ष पर्वत के उत्तरी भाग के किनारे पर समतल भू-भाग पर स्थित हैं। हर्षनाथ मंदिर की स्थापना संवत् 1018 में चौहान राजा सिंहराज द्वारा की गई और मंदिर पूरा करने का कार्य संवत् 1030 में उसके उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज द्वारा किया गया। इन मंदिरों के अवशेषों से मिले एक महत्वपूर्ण शिलालेख (जो अब सीकर के राजकुमार हरदयाल सिंह राजकीय संग्रहालय में रखा हुआ है ) के अनुसार यहां कुल 84 मंदिर थे। यहां स्थित ये सभी मंदिर अब खंडहर अवस्था में है जो पहले गौरवपूर्ण रहे होंगे। कहा जाता है कि 1679 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देशों पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबुझकर इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था। मंदिर परिसर में शिव वाहन नंदी की विशाल संगमरमरी प्रतिमा भी आकर्षक है।
2. महादेव मंदिर (निर्माण-राव शिव सिंह जी ) जब मुग़ल बाद्साह औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया उस के बाद सीकर दरबार के राजा राव शिव सिंह जी ने दूसरा शिव मंदिर बनवाया ।
3. हर्षनाथ भैरव मंदिर - मुख्य शिव मंदिर की दक्षिण दिशा में भैरवनाथ का मंदिर है, जिसमें मां दुर्गा की सौलह भुजा वाली प्रतिमा है जिसकी प्रत्येक भुजा में विभिन्न शस्त्र हैं, एक हाथ में माला व दूसरे में पुस्तक है। इस मंदिर मर्दनी की खण्डित प्रतिमा एवं अर्धनारीश्वर रत्नधारी गणपति (अर्ध नारीश्वर गणेश ) की प्रतिमा भी है। मंदिर के मध्य गुफा जैसा तलघर भी है जिसमें हर्ष भैरव , जीणमाता तथा भैरव की तीन प्रतिमाएं हैं।
पूरे सालभर लोक गीत के साथ दूर दूर से जात, जडूले व् सवामणी के लिए आते धार्मिक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है मानो मेला लगा हो।
हर्ष पर्वत वनौषधियों का भण्डार है। यहां अरडूसा नामक पौधे प्रचुर मात्रा में खड़े हैं जिससे खांसी की दवा ग्लाइकाडिन बनती है। इसके अतिरिक्त बांस, व्रजदंती, गोखरू, लापता, शंखपुस्पी, नाहरकांटा, सफेद मूसली, आदि वनौषधियां भी यहां मिलती है। यहां मांसाहारी जरख, भेडिया, गीदड, लोमड़ी, सर्प, नेवला, बीजू आदि मिलते हैं। शाकाहारी वन्य जीवों में रोजड़ा, सेही, लंगूर, काले मुंह के बन्दर आदि यहां दिखते हैं। पक्षियों में तीतर, बटेर, मोर, कबूतर, कोयल, चिड़िया, मैना, तोता, वाईल्ड बेबलर, बगुला, बतख आदि पाये जाते हैं।
हर्ष पर्वत पर मैसर्स इनरकोन इंडिया लिमिटेड ने वर्ष 2004 में 7.2 मेगावाट पवन विद्युत परियोजना प्रारम्भ की। यहां पवन को ऊर्जा मं परिवर्तित करने वाले विशालकाय टावर / पवन चक्कियां लगाई गयी हैं जिनके सैंकड़ों फीट पंख वायु वेग से घूमते हैं तथा विद्युत का उत्पादन करते हैं। दूर से इन टावरों के पंखे घूमते बड़े लुभावने लगते हैं।
बिल्कुल इसी प्रकार का मंदिर हर्ष गांव, बिलाड़ा हर्ष देवल मंदिर, जिला जोधपुर, राजस्थान में भी स्थित है। बताते हैं कि यह हर्ष देवल मंदिर भी 10वीं शताब्दी में बनाया गया था।
#travel
#india
#tour
#ecotourism
#shubhjourney
#harshnath
#harshnathsikar
#harshparvat
#harshgiri
#travelvlog
#vlogvideo
#rajasthanhistory
#rajasthan
#parvat
#mountain
#tourism
#hiddengems
#caravanadventures
#shekhawati

Our Email " [email protected] "

Комментарии

Информация по комментариям в разработке