कुंडली में कष्टपूर्ण मृत्यु योग (Kashtapurna Mrityu Yog) जानने के लिए बहुत सूक्ष्म और गंभीर विवेचना की आवश्यकता होती है। मृत्यु से जुड़ी स्थितियों को समझने के लिए निम्नलिखित भाव, ग्रह और योगों का विश्लेषण किया जाता है:
कष्टपूर्ण मृत्यु योग कैसे देखे कुंडली से:
1. आठवां भाव (8th House – अष्टम भाव):
अष्टम भाव मृत्यु, आयु, जीवन का अंत, दुर्घटना और गुप्त रोगों का कारक है।
यदि अष्टम भाव में पाप ग्रह (शनि, राहु, केतु, मंगल) स्थित हों और शुभ ग्रह न हों, तो कष्टपूर्ण या हिंसक मृत्यु का योग बनता है।
विशेषकर राहु-केतु का प्रभाव यदि 8वें भाव पर हो तो मृत्यु रहस्यमयी या अचानक (sudden & painful) हो सकती है।
2. अष्टमेश (8th lord) की स्थिति:
यदि अष्टमेश नीच का हो, शत्रु राशि में हो, या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, और लग्न/लग्नेश भी दुर्बल हो, तो जातक को मृत्यु से पहले दीर्घकालिक कष्ट या रोग झेलना पड़ सकता है।
3. लग्न और लग्नेश की स्थिति:
यदि लग्नेश अष्टम भाव में हो और पाप ग्रहों से ग्रसित हो, तो शरीर दुर्बल होगा और मृत्यु कठिन हो सकती है।
शुभ दृष्टियों की अनुपस्थिति भी मृत्यु को असहज बनाती है।
4. मंगल, शनि, राहु, केतु के अशुभ योग:
शनि + राहु + अष्टम योग: कष्टपूर्ण, लंबे समय तक बिस्तर पर या मशीनों पर निर्भर रहकर मृत्यु।
मंगल + राहु या मंगल + केतु अष्टम या द्वादश में: दुर्घटना, रक्तस्राव, हिंसक मृत्यु के संकेत।
केतु अष्टम में और चंद्र कमजोर हो तो मृत्यु मानसिक पीड़ा के साथ हो सकती है।
5. चंद्रमा की स्थिति (मानसिक कष्ट का संकेत):
यदि चंद्रमा 6th, 8th, 12th भाव में, पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो मृत्यु से पहले मानसिक कष्ट और बेचैनी होती है।
6. मारकेश ग्रह (2nd और 7th भाव के स्वामी) की स्थिति:
यदि मारकेश ग्रह पाप प्रभाव में हों और अष्टमेश से युति करें, तो दुर्घटनात्मक या पीड़ादायक मृत्यु का योग बनता है।
विशेष संकेत जिनसे "Kashtapurna Mrityu" की ओर संकेत मिलता है:
संकेत अर्थ
अष्टम भाव में राहु/केतु और मंगल दुर्घटना, अग्नि या रक्त से जुड़ी मृत्यु
चंद्र और शनि का विष योग मानसिक यातना, अवसाद से मृत्यु
शनि + राहु युति (विशेषकर लग्न या अष्टम में) लम्बी बीमारी से मृत्यु
अष्टमेश और द्वादशेश दोनों नीच और पाप दृष्ट मृत्यु अस्पताल, जेल या अकेले में कष्ट से
उपाय क्या करें?
यदि कुंडली में ऐसे योग हों तो:
महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करें
8वें भाव के ग्रहों की शांति के लिए विशेष पूजन (विशेषकर राहु/केतु की दशा हो तो कालसर्प दोष निवारण)
भगवान शिव, भैरव, और शनिदेव की उपासना करें
नियमित रूप से दान, जैसे काले तिल, कंबल, लोहा, या सेवा करना, विशेष रूप से शनिवार को।
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