ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं | कृष्ण बिहारी नूर शायरी

Описание к видео ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं | कृष्ण बिहारी नूर शायरी

कृष्ण बिहारी नूर साहब को देखकर लगता था कि लखनऊ हमेशा उनके साथ ही रहता है। अदब तहजीब़ का मेयार बुलंदियों पर पहुंचाने वालों में सबसे आगे की पंक्तियों में आपका नाम आता है । तहत में पढ़ने का नूर साहब का अंदाज़ सबसे जुदा था जिसे बाद में बहुत से शायरों ने अपना लिया । बेहतरीन अश'आरों से सजी यह वीडियो आप सबके लिए,

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा,
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए ।

कितने अवतार हुए इतने पयंबर आए ।
तू ना आया तेरे पैग़ाम बराबर आए ।

ज़िंदगी से बड़ी सजा ही नहीं ।
और क्या ज़ुर्म है पता ही नहीं ।
इतने हिस्सों में बट गया हूँ,
अपने हिस्से में कुछ बचा ही नहीं ।

कृष्ण बिहारी नूर साहब के इस वीडियो को अंत तक देखिए लाइक और कमेंट भी कीजिए ।

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