तत्त्वार्थ सूत्र।।अध्याय 6 । tatvarth Sutra।आचार्य उमास्वामी कृत। मोक्ष शास्त्र। jinwani prabhavna

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दश लक्षण में रोज पढ़े।इसको पढ़ने मात्र से एक उपवास का फल मिलता है।
तत्त्वार्थ सूत्र l अध्याय 6 l वाचन l उच्चारण l Jinwani prabhavna l सूत्र जी l tatvarth sutra l तत्त्वार्थ सूत्र l अध्याय 6 lआचार्य श्री उमा स्वामी विरचित l
"तत्त्वार्थ सूत्र जैन धर्म का मूल सिद्धांत ग्रंथ है।
इस वीडियो में, हम जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांतों को समझने के लिए तत्त्वार्थ सूत्र का विश्लेषण करते हैं। तत्त्वार्थ सूत्र जैन धर्म का एक मूलभूत ग्रंथ है, जिसमें जैन सिद्धांतों और दर्शन को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है
तत्त्वार्थ सूत्र में 7 तत्त्वों का विश्लेषण: जीव, अजीव, आस्रव, बंधन, संवर, निर्जरा, मोक्ष, 4 गतियो,स्वर्ग,नरक आदि सभी को गागर में सागर रूप में पिरोया ,सजोया गया है जो किसी अन्य ग्रंथ में होना मुश्किल ही है । इसका अर्थ इतना व्यापक है कि इसकी जितनी व्याख्या करो कम है। सच में इतने बड़े ग्रंथ को सूत्र रूप में सरलता से कंठस्थ किया जा सकता है लेकिन जो संस्कृत नही जानते उन्हें पढ़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ता हैं इसी उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए इस वीडियो को बनाया गया है आशा करती हूं कि यह वीडियो आपको पसंद आएगा और जो संस्कृत नहीं पढ़ पाते हैं उन्हें इसमें मदद मिलेगी ।
इसको पढ़ने मात्र से एक उपवास का फल मिलता है।
*तत्त्वार्थ सूत्र जैन धर्म का मूलभूत ग्रंथ है
*यह संस्कृत में लिखा गया है
*जैन सिद्धांतों और दर्शन का संग्रह है
* जीवन के मूलभूत प्रश्नों के उत्तर प्रदान करता है
*जैन धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक है

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