Rohtasgarh Fort इन्हीं दीवारों के Red Spots को देखकर बुकानन ने दीवारों से खून टपकने की बात लिखी थी?

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रोहतास किले का इतिहास बहुत ही लम्बा और रोचक है। हालाकि इस किले का इतिहास बहुत ही अस्पष्ट होने के बावजूद भी, इस किले का सम्बन्ध सन सातवी शताब्दी के राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व से किया जाता है। मध्य काल के भारत में यह किला पृथ्वीराज चौहान ने जीत लिया था।

लेकिन इस किले को तभी ज्यादा महत्व मिला जब इस किले को शेर शाह सूरी ने सन 1539 में एक राजा से जीत लिया था। जब शेर शाह सूरी का शासन था तब इस किले की पहरेदारी करने के लिए 10000 सैनिक तैनात किए गए थे।

शेर शाह सूरी के शासन में उसके एक सैनिक हैबत खान ने किले के परिसर में जामा मस्जिद का निर्माण भी करवाया था।
सन 1588 में अकबर का जनरल मान सिंह के नियंत्रण में यह किला आ गया। उसने खुदके लिए इस किले में एक शानदार ‘तख्ते बादशाही’ नाम का महल भी बनवाया था। उसने अपनी पत्नी के लिए ऐना महल और किले के द्वार के रूप में हथिया पोल का निर्माण करवाया था।
महल के बाहर के परिसर में जामी मस्जिद, हब्श खान का मकबरा और सूफी सुलतान का मकबरा भी बनाया गया है। मान सिंह महल के करीब आधे किमी की दुरी पर पश्चिम दिशा मे राजपुताना शैली में बनाया हुआ भगवान गणेश का मंदिर भी है।

बक्सार की लड़ाई के बाद अंग्रेजो ने किले पर कब्ज़ा जमा लिया था जिसके चलते उन्होंने किले का बहुत सारा हिस्सा तबाह कर दिया था।

लेकिन सैनिकी दृष्टि से देखा जाये तो यह किला पहाड़ के सबसे उपरी दिशा में है। हिन्दू और मुस्लिम की बहुत सारी इमारते इस किले के परिसर में देखने को मिलती है जो हमें इस महान किले की समृद्ध इतिहास की याद दिलाती है।

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