bherav stuti lyrics in discription

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🌹बटुक भैरव नाथ बाबा की स्तुति 🌹

श्री बटुक भैरव नाथ दाता दया मुझ पर् कीजिये ।
मैं द्वार पे प्रभु आ गया अब सरण मैं रख लीजिये ।।
मैं करू पूजा आपकी चरणों मैं नित उठ चित धरु ।
अज्ञान हु अतिदीन हु सत ज्ञान मुझको दीजिये ।।
लीला तुम्हारी अजब है तुम दया के भण्डार हो ।
कलिकाल के गणराज हो भक्तो के तारण हार हो ।।
लटियाल घुंघरू बाल तुम्हारे सीस चंदा चमकता ।
मृग मद का टीका सहित अक्षत सूर्य सम है चमकता ।।
चढ़ता है तेल सिंदूर अंतर वर्ग पुष्पन हार है ।
प्रसाद छप्पन भोग ऊपर चढ़त मदरा री धार है ।।
मुख पर मधुर मुस्कान मद छिक रहे नैना लाल है ।
कानो मैं कुंडल शोभिता गल बीच मुंडन माल है ।
कांधे जनेऊ नाग प्रभु जी चतुर्भुज अवतार हो ।।
श्री गौरव वर्ण सरीर सुंदर अभय के दातार हो ।
कर मैं सदा त्रिशूल डमरू खडग खप्पर धारते ।
भगतो के कारज सारते अरु दुस्ट दल सहारते ।।
कछ बीछ कछनी मुख मली भुज बंद रत्नों से जड़े ।
करते सदा गुणगान बावन वीर कर जोड़ खड़े ।।
शोभित सवारी स्वान की पांवों मैं घुंघरू बाजता ।
फिर योगनी चोसठ कला के बीच भैरु बाबा नाचता ।।
श्री कोडाने नाथ जी की स्तुति कर भजे जो तीनो काल है ।
भैरव बढ़ावे वंस सबको करते मालो माल है ।।
श्री बटुक भैरव नाथ दाता दया मुझ पर कीजिये मैं द्वार पे प्रभु आ गया अब आपकी सरण मैं रख लीजिये ।।
बोलिये श्री कोडमदेसर भैरु नाथ बाबा की जय ।।

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