मनुष्यों की परंपरा जो ईसाई धर्म को जकड़ती है | चर्च ऑफ गॉड

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इस संसार में हम जहां भी पैदा होते हैं, हमारे सभी परिवेश और परंपराएं हमारे बड़े होने के साथ-साथ हमारे अंदर समा जाते हैं। कई बार, जब लोगों से पूछा जाता है कि “हम ऐसा क्यों करते हैं?” तो उत्तर अक्सर ऐसा दिया जाता है, “मुझे नहीं पता। मैं हमेशा से इसी तरह करता आया हूँ।” इस तरह, जिन परंपराओं को लोग बचपन से मानते आए हैं, वे वयस्क होने पर भी उनमें बनी रहती हैं। लेकिन किसी व्यक्ति की आस्था जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण चीज़ के बारे में क्या, जिसके द्वारा वे अपनी आत्मिक पहचान को परिभाषित करते हैं?

क्या हमें स्रोत पर विचार किए बिना, हमसे पहले आए लोगों की परम्परा को अपने आत्मिक निर्माण, स्वास्थ्य और भाग्य को निर्धारित करने देना चाहिए?

जब हम चारों ओर देखते हैं, तो ईसाई धर्म और उसके सिद्धांत उन शिक्षाओं और परंपराओं के आसपास विकसित हुए हैं जो बाइबल की शिक्षाओं से बहुत दूर हैं। दुर्भाग्य से, यह परिवर्तन दूसरी शताब्दी के मध्य से शुरू होकर चौथी शताब्दी के मध्य तक आया। जब पोप ने सभी चर्चों पर अपने अधिकार का प्रयोग किया और यीशु के नाम पर रोमन सूर्य-देवता की परंपराओं का पालन करने के लिए ईसाई धर्म को फिर से आकार दिया। जब हम इतिहास में देखते हैं, तो ""सूर्य"" के दिन (रविवार) की आराधना वास्तव में सूर्य की उपासना करने के लिए 321 ईस्वी में घोषित एक रोमन कानून है। इसके अलावा, 25 दिसंबर, जो फारसी सूर्य देवता मिथ्रा के जन्म से उत्पन्न हुआ था, यीशु के स्वर्गारोहण के 300 वर्षों के बाद 354 ईस्वी से ईसाई धर्म द्वारा अपनाया गया था।

तब, यदि पूरा संसार मनुष्यों द्वारा बनाई गई परंपराओं के माध्यम से व्यर्थ में परमेश्वर की आराधना कर रहा है, तो परमेश्वर किसको उद्धार देंगे? इसलिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि बाइबल की सभी भविष्यवाणियों के अनुसार दूसरी बार आनेवाले मसीह पहले ही आ चुके हैं। और उन्होंने हमारे समय में परमेश्वर की सभी शिक्षाओं को पुनर्स्थापित किया है।

मीका की पुस्तक 4:1-2 में लिखा है, “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा; … सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; … वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा।”

इसमें कहा गया है कि अंत के दिनों में सभी जातियां परमेश्वर द्वारा सिखाए जाने और उनके मार्गों पर चलने के लिए सिय्योन आएंगी। तब, संसार के सभी चर्चों में से, एकमात्र चर्च कौन सा है जिसे दूसरी बार आनेवाले मसीह द्वारा सिखाया गया है और जो सब्त का दिन, फसह और ओढ़नी का नियम जैसी परमेश्वर की सभी आज्ञाओं का पालन करता है? यह केवल चर्च ऑफ गॉड वर्ल्ड मिशन सोसाइटी है। कृपया मानव परंपराओं को छोड़ दें और परमेश्वर की आज्ञाओं पर विश्वास करके सच्चा विश्वास रखते हुए अपनी आत्माओं का उद्धार प्राप्त करें।


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