Pandit Madhup Mudgal || Bhajan || Hum Pardesi Panchhi Baba

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हम परदेसी पंछी बाबा, अणी देसरा नाही
अणी देस रा लोग अचेता पल पल पार पछ्ताई भाई संतो
मुख बिन गाना, पग बिन चलना, बिन पंख उड जाई हो
बिना मोह की सुरत हमारी, अनहद मे रम जाई हो
छाया बैठू अगनी व्यापे धूप अधिक सितलाई हो
छाया धूप से सतगुरु न्यारा, मै सतगुरु के भाई
आठो पहर अडक रहे आसन, कदे न उतरे शाही
मन पवन दोनो नही पहुंचे, उन्ही देस के माही
निरगुण रूप है मेरे दाता, सरगुण नाम धराई
कहे कबीर सुनो भाई साधो, साहब है घट माही

Programme -Jor Bagh New Delhi

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